________________ महावीर-वाणी भाग : 2 समझ में नहीं आता। सब सुनकर वह कहता कि मेरी समझ में नहीं आता। इस मामले में कोई चाल है। पचास हजार किसलिए? और एक आदमी का सवाल नहीं है; कोई पांच सौ कर्मचारी हैं।...ढाई करोड़ रुपया! मान नहीं सकते! बुद्धि में नहीं घुसता! / आखिर सब लोगों ने आकर कहा कि यह तो मार डालेगा सबको। आखिरी दिन आ गया, पर कोई रास्ता नहीं निकला। आखिर मैनेजर ने जाकर मालिक को कहा कि वह आदमी, मुल्ला नसरुद्दीन दस्तखत नहीं कर रहा है। हम सब फंस गये और आपने भी खूब शर्त लगायी। हम सोचते थे, आप ही एक झक्की हो—एक हमारे बीच भी है आपसे भी पहुंचा हुआ है। ___ मालिक ने कहा, 'उसे बुलाओ।' बीसवीं मंजिल पर मालिक का आफिस था / नसरुद्दीन लाया गया; दरवाजे के भीतर प्रविष्ट हुआ। मालिक ने फार्म, कलम तैयार रखी है दस्तखत करने के लिये / दरवाजा बंद किया, तब सरुद्दीन ने देखा कि पांच पहलवान आदमी दरवाजे के पास खड़े हैं। ___ मालिक ने कहा, 'इस पर दस्तखत कर दो। मैं दस तक गिनती करूंगा, इस बीच अगर दस्तखत नहीं किये तो पीछे पहलवान जो खड़े हैं, वे उठाकर तुम्हें खिड़की के बाहर फेंक देंगे!' नसरुद्दीन ने बड़ी प्रसन्नता से दस्तखत कर दिये / ना तो सवाल उठाया, न कोई झंझट खड़ी की; न कोई तर्क, न कोई शंका / और ऐसा भी नहीं कि दुख से किये, बड़ी प्रसन्नता से, आह्लादित। मालिक भी हैरान हुआ। उसने कहा कि नसरुद्दीन, तब तुमने पहले ही दस्तखत क्यों नहीं कर दिये? नसरुद्दीन ने कहा, 'नो वन एक्सप्लेन्ड मी सो क्लीयरली / बात बिलकुल साफ है, पर कोई समझाये तब न / ' हम भी दुख की, मृत्यु की भाषा समझते हैं। अगर आप संन्यस्त भी होते हैं तो मरने के डर से; अगर आप संन्यस्त होते हैं तो गृहस्थी दख से, पीडा से, संताप से / बस, हम समझते ही हैं मौत की भाषा में, आनंद की भाषा का हमें कोई पता भी नहीं है / महावीर संन्यस्त हुए महा-आनंद से। उनके पीछे जो साधुओं का समूह चल रहा है, वह दुखी लोगों की जमात है / कोई परेशान था कि पत्नी सता रही थी। कोई परेशान था कि पत्नी मर गयी / स्त्रियों की बड़ी संख्या है जैन साधुओं में, साध्वियों में काफी बड़ी-पांच-सात गुनी ज्यादा पुरुषों से। उनमें अधिक विधवाएं हैं, जिनके जीवन में कोई सुख का उपाय नहीं रहा, या गरीब घर की लड़कियां हैं, जिनका विवाह नहीं हो सकता था, क्योंकि दहेज की कोई व्यवस्था नहीं थी, या कुरूप स्त्रियां हैं, जिन्हें कोई पुरुष चाह नहीं सकता था, या बीमार और रुग्ण स्त्रियां हैं, जो अपने शरीर से इतनी परेशान हो गयी थीं कि उससे छुटकारा चाहती थीं। साधु-साध्वियों की मनोकथा इकट्ठी करने-जैसी है कि कोई क्यों साधु हुआ है। अगर कोई दुख से साधु हुआ है तो उसका महावीर से कोई संबंध नहीं जुड़ सकता / क्योंकि महावीर आनंद की भाषा... आप जानते हों, तो ही महावीर से जुड़ सकते हैं। से साध नहीं होता. गणों से साध होता है। गण पैदा करने पड़ते हैं। गणों का आविर्भाव करना पडता है। और यह भी खयाल में ले लें कि महावीर पहले कहते हैं, गुणों से मनुष्य साधु होता है और अगुणों से असाधु / ये भी ध्यान में ले लें कि दुर्गुण छोड़े नहीं जा सकते, क्योंकि छोड़ने की प्रक्रिया नकारात्मक है / सदगुण पैदा किये जा सकते हैं, वह विधायक हैं। और सदगुण जब पैदा हो जाते हैं तो दुर्गुण छूटने लगते हैं। अगर आप दुर्गुणों पर ही ध्यान रखें और उनको ही छोड़ने में लगे रहे, तो आप व्यर्थ ही नष्ट हो जायेंगे, क्योंकि दुर्गुण तो सिर्फ इसलिए हैं कि सदगुण नहीं हैं। ___ दुर्गुणों की फिक्र ही मत करें; सदगुणों को पैदा करने की चेष्टा करें / समझें कि एक आदमी सिगरेट पी रहा है, शराब पी रहा है, वह कोशिश में लगा रहता है कि इसको छोड़ें; छोड़ नहीं पाता, क्योंकि वह यह देख ही नहीं पा रहा है कि कोई बहुमूल्य चीज की भीतर कमी है, जिसके कारण शराब मूल्यवान हो गयी है। एक मित्र हैं मेरे; यहां मौजूद हैं। वे शराब पिये चले जाते हैं। भले आदमी हैं / पत्नी उनके पीछे लगी रहती है कि छोड़ो / पत्नी जरूरत 332 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.