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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 मोटी धारणाओं में मत पड़ना; क्योंकि मोटी धारणाएं तो सभी समाजों में अलग होती हैं / कहीं कोई चीज चरित्र समझी जाती है, कहीं कोई चीज दुश्चरित्र समझी जाती है। एक बात यहां चरित्र हो सकती है भारत में, और पाकिस्तान में दुश्चरित्र हो सकती है। इतनी दूर जाने की जरूरत नहीं है। आपके घर में जो बात चरित्र हो, पड़ोसी के घर में दुष्चरित्र हो सकती है। इससे कोई संबंध नहीं है महावीर का। महावीर का संबंध है, उस चरित्र से जो ऊर्जा को बचाता है। तो आप कहीं भी हों दुनिया में, एक ही बात खयाल में रखने की है कि मेरी जीवन-ऊर्जा व्यर्थ तो नहीं खोती है? मैं उसका व्यर्थ अपव्यय तो नहीं करता हूं? पर यह बोध भी, क्रमशः ही कड़ी-कड़ी पैदा होगा। 'और तप से कर्ममलरहित होकर पूर्णतया शुद्ध हो जाता है।' और जब ऊर्जा पूरी इकट्ठी होती है, तो सिर्फ ऊर्जा का इकट्ठा होते ही एक बिंदु आता है, एक इवापोरेटिंग प्वाइंट आता है, जहां इतनी गर्मी पैदा हो जाती है कि जो भी व्यर्थ है, वह जल जाता है। संसार जल जाता है और सिर्फ शुद्धतम शेष रह जाता है। उस अग्नि से गुजरकर जो बच रहता है, वही मुक्ति है, वही मोक्ष है। ___ 'ज्ञान, दर्शन , चारित्र्य और तप–इस चतुष्टय अध्यात्ममार्ग को प्राप्त होकर, मुमुक्षु-जीव मोक्षरूप सदगति को पाते हैं।' मुक्त हो जाना ही एकमात्र-एकमात्र लक्ष्य है सारे जीवन की दौड़ का, ऊहापोह का। लेकिन मोक्ष का यह विज्ञान है : मुमुक्षा से शुरू करें, ज्ञान को अनुभव बनायें, श्रद्धा बनेगी, श्रद्धा से चारित्र्य का जन्म होगा, चरित्र के जन्म पर ऊर्जा इकट्ठी होनी शुरू होगी-आप एक झील बन जायेंगे शक्ति की। एक मात्रा पर, उस मात्रा का कोई माप नहीं है, क्योंकि किसी वैज्ञानिक ने कभी अब तक उसे मापने की कोशिश नहीं की कि अंतर-ऊर्जा किस बिंदु पर मोक्ष में प्रवेश करा देती है। लेकिन मैं समझ ता हूं कि आज नहीं कल, हम उसको भी माप सकेंगे। विज्ञान विकसित हो रहा है और धीरे-धीरे गहरा हो रहा है। अब तक विज्ञान बहुत-सी चीजें नहीं माप पाता था, अब उसने मापना शुरू कर दिया है। अब आपकी रात नींद मापी जा सकती है कि कब गहरी है और कब हल्की है; कब स्वप्न चल रहा है, कब नहीं चल रहा है। क्योंकि मस्तिष्क की तरंगें बदल जाती हैं। जब स्वप्न चलता है, तरंगें और होती हैं; जब नहीं चलता, तब और होती हैं / जब गहरी, प्रगाढ निद्रा होती है, तो तरंगें और होती हैं। तो परी रात ग्राफ बनता रहता है कि आपने कब स्वप्न लिया। अब तो इस बात की भी पकड आ गई है, कब आपके भीतर काम-वासना से भरा हुआ स्वप्न चल रहा है। वह भी ग्राफ पर–क्योंकि जब काम-वासना भीतर होती है, तो गर्मी बदल जाती है। ___आपने छोटे बच्चों को देखा होगा, रात सोते कई बार उनकी जननेंद्रिय सक्रिय हो जाती है? पुरुषों की भी होती है, मरते दम तक होती है! रात नींद में कम से कम दस बार, सामान्य स्वस्थ व्यक्ति की जननेंद्रिय सक्रिय हो जाती है। जब भी सक्रिय होती है, तभी उसके शरीर का सारा का सारा गर्मी का तल बदल जाता है। उसकी श्वास बदल जाती है। वह सब ग्राफ पर आ जाता है / इस बात की संभावना बढ़ती जाती है कि हम चरित्र के भी ग्राफ ले सकेंगे। क्योंकि जैसे-जैसे ऊर्जा भीतर इकट्ठी होगी, भीतर रासायनिक परिवर्तन हो रहे हैं, उन परिवर्तनों का कोई न कोई उपाय खोजा जा सकता है, मापा जा सकता है। और तब एक घड़ी भी तय की जा सकती है कि इस घड़ी पर ऊर्जा के पहुंच जाने पर व्यक्ति की चेतना पदार्थ से छूट जाती है, मुक्त हो जाती है। गर्मी की एक खास डिग्री, और व्यक्ति शरीर और संसार से अलग हो जाता है। उस अलग होने की घटना का नाम मोक्ष है। आज इतना ही। 242 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340039
Book TitleMahavir Vani Lecture 39 Mumuksha ke Char Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size73 MB
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