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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 मुमुक्षा का अर्थ है : आपको यह अनुभव होना शुरू हो गया कि जीवन बंधन है, पीड़ा है, संताप है, दुख है / इससे दो यात्राएं शुरू हो सकती हैं। अनुभव हो जाये कि जीवन दुख है, तो आप अपने को बेहोश करने की कोशिश कर सकते हैं, ताकि दुख भूल जाए / सभी लोग यही कर रहे हैं। कोई काम-वासना में डूब रहा है, कोई शराब में डूब रहा है; कोई संगीत में, कोई फिल्म में, कोई कहीं और, कोई कहीं और; कोई जुआ खेल रहा है, कोई रेस में जाकर दांव लगा रहा है / वे भूलने के लिए उपाय हैं, कहीं, जहां मुझे अपनी याद न रहे। __ बड़े मजे की बात है। घोड़ों की दौड़ में आदमी कितने उत्सुक रहते हैं, कोई घोड़ा आदमी की दौड़ में इतना उत्सुक नहीं है ! घोड़ों को आदमी की दौड़ में कोई भी रस नहीं है। एक धेला भी देने को घोड़े राजी नहीं होगें। आदमी इतना घोड़े की दौड़ में रस ले रहा है, जरूर कहीं आदमी में कोई विकृति है। वह कहीं भी अपने को भुलाने की कोशिश कर रहा है। कहीं कोई उत्तेजना, जहां थोड़ी देर को अपनी याद न रहे / घोड़ों की दौड़ हो, तो वह रीढ़ को सीधा करके बैठ जाये और देखने लगे। घोड़ा इतना ज्यादा ध्यान में हो जाये कि अपना विस्मरण हो जाये, फारगेटफुलनेस हो जाये। उत्तेजना, किसी भी तरह की उत्तेजना चाहिए। ___ आदमी ने हजार-हजार तरह की उत्तेजनाएं खोजी हैं / यूनान में शेरों के सामने, सिंहों के सामने आदमियों को फेंक देते थे, और जब सिंह आदमियों को चीड़ेंगे, फाड़ेंगे, तो लाखों लोग बैठकर देखेंगे, आनंद लेंगे। क्या रस रहा होगा? फर्क नहीं पड़ा है आदमी में बुहत अभी भी जब दो पहलवान लड़ते हैं और आप गौर से देखते हैं, तो क्या देख रहे हैं ? या फिल्म में जब कोई खून, हत्या और भाग-दौड़ होती है, तो आप क्यों इतने उत्सुक हो जाते हैं ? या दुनिया में जब युद्ध चलता है, तो आपकी प्रसन्नता क्यों बढ़ जाती है ? घटनी चाहिए युद्ध के चलने से, पर आप प्रसन्न हो जाते हैं ! सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में उठने लगते हैं / क्या हो रहा है? कुछ हो रहा है चारों तरफ। ___ उत्तेजना आपको अपने में आने से रोकती है, बाहर ले जाती है। उत्तेजना में आप दूसरे में डूब जाते हैं, खुद को भूल जाते हैं / कोई न कोई उत्तेजना चाहिए। ऐसा भी हो सकता है कि आप उत्तेजना में प्रसन्न न होते हों, दुखी होते हों। समझ लें कि आपके सामने सिंह किसी को फाड़कर खा रहा हो और आपकी आंखों से आंसू झर रहे हों, लेकिन तब भी, आप-वह भी आपका भूलना ही है। उस आंसू गिरने में भी वह सिंह और आदमी प्रमुख हो गये हैं, आप अपने को भूल गये हैं। ___ मैंने सुना है कि एक यहूदी बुढ़िया को उसका बेटा पहली दफा फिल्म दिखाने ले गया। वह फिल्म एक पुरानी रोमन कथा पर आधारित थी। और उसमें वह अनिवार्य दृश्य आया, जिसमें ईसाइयों को रोमन सम्राट फेंक रहे हैं सिंहों के सामने, बुढ़िया की आंखों से आंसू बहने लगे। उसके मुंह से चीत्कार निकलने को थी कि उसके बेटे ने कहा, 'इतना क्यों परेशान हो रही हो?' उसने कहा कि 'देखो, बेचारे आदमियों को सिंह किस तरह फाड़कर खा रहे हैं। तो उसने कहा कि वे आदमी नहीं हैं, ईसाई हैं।' 'यहूदी थी बुढ़िया। 'वे आदमी नहीं हैं, ईसाई हैं'–बुढ़िया ने कहा, 'अच्छा' / तब उसने अपने आंसू पोंछ लिये। वह प्रसन्नता से देखने लगी। लेकिन दो ही मिनट बाद फिर उसके आंसू बहने लगे। फिर जब चीत्कार निकलने को थी तो उसके लड़के ने कहा कि 'अब क्या मामला है ?' उसने कहा कि देखो, एक बेचारा सिंह खड़ा है और उसको एक भी आदमी नहीं मिला।' पहले वे बेचारे आदमी थे जिनको सिंह खा रहा था, लेकिन अब वे ईसाई हैं, अब एक बेचारा सिंह अकेला खड़ा है, उसको कोई आदमी नहीं मिला। अब वह उसके लिए रो रही है ! __ आदमी चाहे रोए और चाहे हंसे, जब तक दूसरे पर ध्यान है, तब तक अपना विस्मरण है / इसीलिए ट्रैजडी का भी उतना रस है / बड़े मजे की बात है कि दुनिया में इतनी ट्रैजडी है, इतना दुख है, फिर भी आप दुखांत नाटक देखने जाते हैं ! और ध्यान रहे, दुखांत नाटक ज्यादा चलते हैं सुखांत नाटक के बजाय / यह बड़ी अजीब बात है। दुनिया में काफी दुख है। अभी आपको दुख का अनुभव नहीं हुआ है कि आप दुखांत नाटक देखने जा रहे हैं ? लेकिन, अगर कहानी में दुख न हो और दुख पर कहानी 234 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340039
Book TitleMahavir Vani Lecture 39 Mumuksha ke Char Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size73 MB
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