________________ महावीर-वाणी भाग : 2 उसने कहा कि नरम का कोई उपाय नहीं। जो मेरे बाप ने मेरे साथ किया था, वही मैं तेरे साथ करूंगा। जो हमें दूसरों में दिखायी पड़ता है-आपको दिखायी पड़ता है कि फलां आदमी बहुत ईर्ष्यालु है, थोड़ा खयाल करना, कहीं वह आदमी पर्दा तो नहीं है, और आपके भीतर ईर्ष्या है। आपको दिखायी पड़ता है, फलां आदमी बहुत अहंकारी है, थोड़ा खयाल करना, वह पर्दा तो नहीं है, और अहंकार आपके भीतर है। आपको लगता है, फलां आदमी बेईमान है, थोड़ा खयाल करना, थोड़ा मुड़-मुड़कर देखना शुरू करो, ताकि प्रोजेक्टर का पता चले। पर्दे पर ही मत देखते रहो। __महावीर कहते हैं, सब पीछे से, भीतर से आ रहा है और बाहर फैल रहा है। सारा खेल तुम्हारा है। तुम्ही हो नाटक के लेखक, तुम्हीं हो उसके पात्र, तुम्ही हो उसके दर्शक। दूसरे को मत खोजो, अपने को खोज लो। जो इस खोज में लग जाता है, वह एक दिन मुक्त हो जाता है। आज इतना ही। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org