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________________ ब्रह्मचर्य : कामवासना से मुक्ति खतरा नहीं है। वह जो सुरक्षा है, वह त्यागनी पड़ती है। __ जैसे-जैसे आदमी छोर पर जाता है, वैसे-वैसे खतरे के करीब आता है। जहां परिवर्तन हो सकता है, वहां खतरा भी होता है। जहां विस्फोट होगा, जहां क्रांति होगी, वहां हम खतरे के करीब पहुंच रहे हैं। इसलिए अधिक लोग बीच में, भीड़ के बीच में जीते हैं। खतरे से सुरक्षा रहती है। दोनों ही खतरनाक हैं। लेकिन जिंदगी केवल वे ही लोग अनुभव कर पाते हैं, जो असुरक्षा में उतरने की हिम्मत रखते हैं। ___ तंत्र भी साहस है, योग भी। कोई महावीर भी बहुत लोग नहीं हो पाते। वह भी आसान नहीं है। आसान कुछ भी नहीं है। आसान है सिर्फ क्रमशः मरते जाना, जीना तो कठिन है। कठिनाई असुरक्षा में उतरने की है, अज्ञात में उतरने की है। ___ कुछ लोग तंत्र से पहुंच सकते हैं, कुछ लोग योग से पहुंच सकते हैं। यह व्यक्ति को खोज करनी पड़ती है कि वह किस मार्ग से पहुंच सकता है। लेकिन कुछ सूचनाएं दी जा सकती हैं-एक, अपने अचेतन को थोड़ा टटोलना चाहिए। अगर अचेतन ऐसा कहता है कि तंत्र तो बड़ा मजेदार होगा, कि इसमें तो कुछ छोड़ना भी नहीं, भोग ही भोग है। वही रास्ता ठीक है, तो समझना कि यह रास्ता आपके लिए ठीक नहीं है। यह आप अपने को धोखा दे रहे हैं। हर आदमी अपने अचेतन वृत्ति को थोड़े से ही निरीक्षण से जांच सकता है। बड़ी जटिल बात नहीं है। भीतरी रस आपको पता ही रहता है कि आप किसलिए कर रहे हैं। अपने को धोखा देना बहुत कठिन है, असंभव है। थोड़ा-सा होश रखें तो आपको जाहिर रहेगा कि आप यह किसलिए कर रहे हैं। अगर आपको रस मालूम पड़ रहा हो तंत्र में तो तंत्र आपके लिए मार्ग नहीं है। अगर आपको योग में रस मालूम पड़ रहा हो तो योग भी आपके लिए मार्ग नहीं है। कुछ लोगों को योग में रस मालूम पड़ता है। आत्मपीड़क, खुद को सताने वाले लोग, मैसोचिस्ट जिनको मनोवैज्ञानिक कहते हैं जो अपने को सताने में मजा लेते हैं; ऐसे लोगों को योग में बड़ा रस मालूम पड़ता है। उपवास में, तप में, धूप में खड़ा होने में, नग्न होने में उन्हें बड़ा रस मालूम पड़ता है। किसी भी तरह उन्हें अपने को सताने में रस मालूम पड़ता है। ____ अगर आपको अपने आपको सताने में रस मालूम पड़ रहा हो, तो आप समझना, योग आपके लिए मार्ग नहीं है। योग आपके लिए बीमारी है। अगर आपको भोग में रस मालूम पड़ रहा हो, इसलिए तंत्र के बहाने आप भोग में उतर रहे हों. तो तंत्र आपके लिए खतरनाक है, बीमारी है। एक बात ठीक से समझ लेनी चाहिए; चित्त की अस्वस्थता को किसी भी चीज से सहारा देना खतरनाक है। फिर रस न पड़ रहा हो, तो क्या उपाय है? कैसे हम जानें कि इसमें हमें रस नहीं पड़ रहा है? एक बात ध्यान में रखनी जरूरी है-जब भी हम किसी मार्ग से, किसी अंत की तरफ जा रहे हों, तो अंत में रस होना चाहिए, मार्ग में रस नहीं होना चाहिए। आप एक मंजिल पर जा रहे हैं एक रास्ते से, तो आपको मंजिल में रस होना चाहिए, रास्ते में रस नहीं होना चाहिए। अगर आपको रास्ते में रस है, इसीलिए मंजिल को आपने चुन लिया है कि रास्ता सुखद है, सुंदर छाया है, वृक्ष हैं, फूल हैं, इसलिए इस मंजिल को चुन लें तो खतरा है। रास्ता कभी मत चुनें, मंजिल चुनें और मंजिल के अनुकूल रास्ता चुनें, और रास्ते पर बहुत रस न लें। रास्ते में रस जो लेगा वह अटक जायेगा। हम सारे लोग रास्ते में रस लेते हैं, हम रास्ता ही ऐसा चुनते हैं। फ्रायड ने कहा है कि आदमी इतना कुशल है कि वह सब तरह के रेशनेलाइजेशन कर लेता है, सब तरह की तर्कबद्ध व्यवस्था कर लेता है। वह जो चुनना चाहता है, वही चुनता है और चारों तरफ तर्क का आवरण खड़ा कर लेता है, और अपने को समझा लेता है कि यह मैंने किसी अंतवृत्ति के कारण नहीं, किसी वासना के कारण नहीं, बड़े विवेकपूर्वक चुना है। यह धोखा बहुत आसान 425 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340023
Book TitleMahavir Vani Lecture 23 Bramhacharya Kamvasna se Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size75 MB
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