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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 जो अभी इंद्रियों के धोखे में पड़ता है, उसकी बात का भरोसा कुछ भी नहीं। जो अभी इंद्रियों के सपने से नहीं जाग सका, उसकी बात का कुछ भी भरोसा नहीं। महावीर को ज्ञात है, उस समय जो भी देवताओं की चारों तरफ चर्चा थी, उनमें महावीर को कोई भी देवता स्तुति के योग्य नहीं लगा। क्योंकि बड़ी अजीब कहानियां हैं। कहानी है कि ब्रह्मा ने पथ्वी को बनाया. अर्थात पथ्वी ब्रह्मा की बेटी हई. और बेटी को देखकर ब्रह्मा एकदम कामातर हो गये तो बेटी के पीछे कामातुर होकर भागे। बेटी घबरा गयी तो वह गाय बन गयी, तो ब्रह्मा बैल हो गये और गाय के पीछे भागे। महावीर को बड़ी कठिनाई मालूम पड़ेगी कि ऐसे ब्रह्मा के वचन का क्या मूल्य हो सकता है। यह तो साधारण पिता भी अपने को रोकता है, ब्रह्मा न रोक सके! कहानी में मूल्य तो बहुत है, पर मूल्य मनोवैज्ञानिक है। __फ्रायड ने कहा है कि हर पिता के मन में अपनी जवान बेटी को भोगने की कामना कहीं न कहीं सरक उठती है। क्योंकि जवान बेटी को देखकर फिर एक बार उसको अपनी पत्नी जब जवान थी, उसका स्मरण सदा हो आता है। यह कहानी तो बड़ी मनोवैज्ञानिक है कि अगर ब्रह्मा ने अपनी बेटी को पैदा किया और वह इतनी सुंदर थी कि ब्रह्मा खुद आकर्षित हो गये, तो यह बात तो बताती है कि बाप भी बेटी के प्रति कामातुर हो सकता है-ब्रह्मा तक हो गये! लेकिन महावीर के लिए इसमें दूसरी सूचना है। वह सूचना यह है कि जो देवता कामातुर हैं, उनकी स्तुति का कोई भी अर्थ न रहा। इसलिए महावीर बड़े हिम्मतवर आदमी हैं। वे कहते हैं, जब कोई व्यक्ति इस वीतरागता को उपलब्ध होता है, तो देवता उसके चरणों में सिर रख देते हैं। यही बात कष्टपूर्ण भी लगी हिंद मन को। क्योंकि कहानियां हैं कि जब महावीर ज्ञान को उपलब्ध हए तो इंद्र और ब्रह्मा सब उनके चरणों में सिर रख दिये। यह बहुत का न मालूम पड़ती हैं...यह बात कठिन मालूम पड़ती है। बुद्ध जब ज्ञान को उपलब्ध हुए तो सारा देवलोक उतरा और चारों-तरफ उनके चरणों में साष्टांग लेट गया। __ हिंदू मन को चोट लगी कि जिन देवताओं की हम पूजा करते, प्रार्थना करते, वे इस गौतम बुद्ध के सामने या इस वर्द्धमान महावीर के सामने आकर चरणों में सिर रख दिये! यह बात ही अपवित्र मालूम पड़ती है। लेकिन महावीर और बुद्ध को हम समझें तो इस बात की बड़ी महिमा है। मनुष्य को पहली दफा देवताओं के ऊपर रखने का प्रयास-बड़ा गहन प्रयास है। मनुष्य को पहली दफा वासना के परम छुटकारे की तरफ इशारा है। ___ महावीर कहते हैं, देवता भी तुम हो जाओ, स्वर्ग भी तुम्हारे हाथ में आ जाये और अगर इंद्रियां तुम्हारी, तुम्हारे नियंत्रण में नहीं, और तुम उनके मालिक नहीं हो, तो तुम गुलाम हो, कीड़े-मकोड़ों जैसे ही गुलाम हो। कीड़ा-मकोड़ा भी क्यों कीड़ा-मकोड़ा है? क्योंकि इंद्रियों का गुलाम है। और देवता भी कीड़ा-मकोड़ा है, क्योंकि वह भी इंद्रियों का गुलाम है। ___ आदमी जाग सकता है। क्यों? देवता क्यों नहीं जाग सकता? सुख में जागना बहुत मुश्किल है। दुख में जागना आसान है। सुख में नींद सघन हो जाती है, दुख में नींद टूट जाती है। पीड़ा हो तो निखारती है, सुख हो सब धुंधला-धुंधला कर जाती है। सुख में जंग लग जाती है। दुख में आदमी प्रखर होता है। इसलिए बहुत मजे की बात है कि सुखी परिवारों में कभी प्रखर चेतनाएं मुश्किल से पैदा हो जाती हैं। प्रखर बुद्धि, प्रखर प्रतिभा, अगर सब सुख हो तो क्षीण हो जाती मालूम पड़ती है। जंग लग जाती है। कुछ करने जैसा नहीं लगता। राकफेलर के घर में लड़का पैदा हो, तो सब पहले से मौजूद होता है, कुछ करने जैसा नहीं मालूम पड़ता। पाने को कुछ दिखायी नहीं पड़ता। जब तक कि राकफेलर के लड़के में बुद्ध या महावीर की चेतना न हो कि इस संसार में पाने योग्य कुछ नहीं, तो चलो दूसरे संसार को पाने निकल पड़ें। जब इस संसार में कुछ पाने योग्य नहीं लगता तो आप बैठ जाते हैं मुर्दे की तरह, आपकी सब चेतना बैठ जाती है। 436 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.340023
Book TitleMahavir Vani Lecture 23 Bramhacharya Kamvasna se Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size75 MB
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