________________ मत्यु के संबंध में थोड़ी-सी बातें और / पहली बात—मृत्यु अत्यंत निजी अनुभव है। दूसरे को हम मरता हुआ देखते हैं, लेकिन मृत्यु को नहीं देखते! दूसरे को मरता हुआ देखना, मृत्यु का परिचय नहीं है। मृत्यु आंतरिक घटना है। स्वयं मरे बिना देखने का कोई भी उपाय नहीं है। शायद इसलिए, जब भी हम मृत्यु के संबंध में सोचते हैं तो ऐसा लगता है, मृत्यु दूसरे की होगी। क्योंकि हमने दूसरों को ही मरते देखा है। ___ जब हम दूसरे को मरते देखते हैं तो हम क्या देखते हैं? हम इतना ही देखते हैं कि जीवन क्षीण होता चला जाता है। शरीर से जीवन की ज्योति विदा होती चली जाती है। लेकिन उस क्षण में जहां जीवन और शरीर पृथक होते हैं, हम मौजूद नहीं हो सकते। केवल वही व्यक्ति मौजूद होता है, जो मर रहा है। तो किसी को मरते हुए देखना, मृत्यु को देखना नहीं है। मृत्यु तो स्वयं ही देखी जा सकती है। आपके लिए कोई दूसरा नहीं मर सकता है, प्रॉक्सी से मरने का कोई उपाय नहीं है। अत्यंत निजी घटना है। उधार मृत्यु का अनुभव नहीं हो सकता। और हमारा सब अनुभव उधार है। हमने सदा दूसरों को मरते हुए देखा है। शायद इसीलिए, मृत्यु का जो आघात हमारे ऊपर पड़ना चाहिए, वह नहीं पड़ता। उसकी गहराई हमारे खयाल में नहीं आती। क्या जीवन में कोई और भी ऐसा अनुभव है, जो मृत्यु जैसा हो? एक अनुभव है, लेकिन एक बारगी खयाल भी न आये कि उसका और मृत्यु से कोई संबंध हो सकता है। वह अनुभव है प्रेम। प्रेम और मृत्यु बड़े एक से अनुभव हैं। फिर तीसरा कोई भी अनुभव वैसा नहीं है। आपके लिए श्वास भी दूसरा आदमी ले सकता है। आपका हृदय भी, जरूरी नहीं कि आपका ही धड़के, दूसरे का भी आपके लिए धड़क सकता है। आपका हृदय पूरा अलग कर दिया जाये और दूसरे के हृदय से जोड़ दिया जाए, तो भी आप जीवित रह लेंगे। खून भी दूसरे का आपकी नाड़ियों में बह सकता है, श्वास भी यंत्र आपके लिए ले सकता है, लेकिन प्रेम आपके लिए कोई दसरा नहीं कर सकता है। प्रेम अत्यंत निजी अनुभव है। मृत्यु और प्रेम बड़े संयुक्त हैं। इसलिए जिन लोगों ने प्रेम के संबंध में गहराई से सोचा है, उन्हें मृत्यु के संबंध में भी सोचना पड़ा। और जिन्होंने मृत्यु की खोज-बीन की है, वे अंततः प्रेम के रहस्य में भी प्रवेश किये हैं। __कुछ बातें हमारे अनुभव में भी हैं, जिन्होंने बहुत नहीं सोचा होगा। जैसे, जो आदमी प्रेम से डरता है, वह मृत्यु से भी डरेगा। जो आदमी मृत्यु से डरता है, वह कभी प्रेम में नहीं पड़ेगा। जो व्यक्ति प्रेम की गहराई में उतर गया है, मृत्यु के प्रति बिलकुल अभय हो 367 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org