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________________ धर्म : एक मात्र शरण वह हो ही गयी। अगर यह निश्चित ही है तो तीस, चालीस, पचास साल बाद क्या फर्क पड़ता है! बीच के पचास साल, मृत्यु जब निश्चित ही है तो आज हो गयी, वापस लौटा लो।' वे जाते थे एक युवक महोत्सव में भाग लेने, यूथ फेस्टिवल में भाग लेने। रथ बीच से वापस लौटा लिया। उन्होंने कहा, 'अब मैं बूढ़ा हो ही गया। अब युवक महोत्सव में भाग लेने का कोई अर्थ न रहा। युवक महोत्सव में तो वे ही लोग भाग ले सकते हैं, जिन्हें मृत्यु का कोई पता नहीं है। और फिर मैं मर ही गया।' सारथी ने कहा, 'अभी तो आप जीवित हैं, मृत्यु तो बहुत दूर है।' यह बफर है। बुद्ध का बफर टूट गया, सारथी का नहीं टूटा। सारथी कहता है कि मृत्यु तो बहुत दूर है। हम सभी सोचते हैं मृत्यु होगी लेकिन सदा बहुत दूर, कभी-ध्यान रहे, आदमी के मन की क्षमता है-जैसे हम एक दीये का , तो दो, तीन, चार कदम तक प्रकाश पडता है ऐसे ही मन की क्षमता है। बहत दर रख दें किसी चीज को तो फिर मन की पकड़ के बाहर हो जाता है। मृत्यु को हम सदा बहुत दूर रखते हैं। उसे पास नहीं रखते। मन की क्षमता बहुत कम है। इतने दूर की बात व्यर्थ हो जाती है। एक सीमा है हमारे चिंतन की। दूर जिसे रख देते हैं, वह बफर बन जाता है। ___ हम सब सोचते हैं, मृत्यु तो होगी; लेकिन बूढ़े से बूढ़ा आदमी भी यह नहीं सोचता कि मृत्यु आसन्न है। कोई ऐसा नहीं सोचता कि मृत्यु अभी होगी; सभी सोचते हैं, कभी होगी। जो भी कहता है, कभी होगी, उसने बफर निर्मित कर लिया। वह मरने के क्षण तक भी सोचता रहेगा कभी...कभी, और मृत्यु को दूर हटाता रहेगा। अगर बफर तोड़ना हो तो सोचना होगा, मृत्यु अभी, इसी क्षण हो सकती है। यह बड़े मजे की बात है कि बच्चा पैदा हुआ और इतना बूढ़ा हो जाता है कि उसी वक्त मर सकता है। हर बच्चा पैदा होते ही हो जाता है कि उसी वक्त चाहे तो मर सकता है। बूढ़े होने के लिए कोई सत्तर-अस्सी साल रुकने की जरूरत नहीं है। जन्मते ही हम मृत्यु के हकदार हो जाते हैं। जन्म के क्षण के साथ ही हम मृत्यु में प्रविष्ट हो जाते हैं। जन्म के बाद मृत्यु समस्या है और किसी भी क्षण हो सकती है। जो आदमी सोचता है, कभी होगी, वह अधार्मिक बना रहेगा। जो सोचता है, अभी हो सकती है, इसी क्षण हो सकती है, उसके बफर टूट जायेंगे। क्योंकि अगर मृत्यु अभी हो सकती है तो आपकी जिंदगी का पूरा पर्सपेक्टिव, देखने का परिप्रेक्ष्य बदल जायेगा। किसी को गाली देने जा रहे थे, किसी की हत्या करने जा रहे थे, किसी का नुकसान करने जा रहे थे, किसी से झूठ बोलने जा रहे थे, किसी की चोरी कर रहे थे. किसी की बेईमानी कर रहे थे; मत्य अभी हो सकती है तो नये ढंग से सोचना पड़ेगा कि झूठ का कितना मूल्य है अब, बेईमानी का कितना मूल्य है अब। अगर मृत्यु अभी हो सकती है, तो जीवन का पूरा का पूरा ढांचा दूसरा हो जायेगा। बफर हमने खड़े किये हैं। पहला कि मृत्यु सदा दूसरे की होती है, इट इज आलवेज दी अदर ह डाइज। कभी भी आप नहीं मरते, कोई और मरता है। दूसरा, मृत्यु बहुत दूर है, चिंतनीय नहीं है। लोग कहते हैं, अभी तो जवान हो, अभी धर्म के संबंध में चिंतन की क्या जरूरत है? उनका मतलब आप समझते हैं? वे यह कह रहे हैं, अभी जवान हो, अभी मृत्यु के संबंध में चिंतन की क्या जरूरत है? __धर्म और मृत्यु पर्यायवाची हैं। ऐसा कोई व्यक्ति धार्मिक नहीं हो सकता, जो मृत्यु को प्रत्यक्ष अनुभव न कर रहा हो, और ऐसा कोई व्यक्ति, जो मृत्यु को प्रत्यक्ष अनुभव कर रहा हो, धार्मिक होने से नहीं बच सकता। तो दूर रखते हैं हम मृत्यु को। फिर अगर मृत्यु न दूर रखी जा सके, और कभी-कभी मृत्यु बहुत निकट आ जाती है, जब आपका कोई निकटजन मरता है तो मृत्यु बहुत निकट आ जाती है। करीब-करीब आपको मार ही डालती है। कुछ न कुछ तो आपके भीतर 351 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340019
Book TitleMahavir Vani Lecture 19 Dharm Ek Matra Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size74 MB
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