________________ रस-परित्याग और काया-क्लेश आप भोजन मत करें, यह रसपूर्ण है। मैं आपसे यह भी नहीं कहूंगा कि आप जीभ को जला लें क्योंकि जीभ रस देती है। मैं आपसे यह भी नहीं कहंगा कि मन में आप अनभव न करें कि यह खड़ा है, यह मीठा है। मैं आप से कहंगा-भोजन करें. जीभ को स्वाद लेने दें; मन को पूरी खबर होने दें, पूरी संवेदना होने दें कि बहुत स्वादिष्ट है। सिर्फ भीतर इस सारी प्रक्रिया के साक्षी बनकर खड़े रहें। देखते रहें कि मैं देखने वाला हूं। मन को स्वाद मिल रहा; जीभ को रस आ रहा; वस्तु प्रीतिकर मालूम पड़ती रही; लेकिन मैं पीछे खड़ा देख रहा हूं। जस्ट बियांड-एक कदम भी पार खड़े होकर देख रहा हूं। मैं देख रहा हूं; मैं द्रष्टा हूं; मैं साक्षी हूं। रस के अनुभव में सिर्फ इतना भाव गहन हो जाए तो आप अचानक पाएंगे कि इंद्रियां वही हैं, उन्हें नष्ट करना नहीं पड़ा। पदार्थ वही हैं, उन्हें छोड़कर भागना नहीं पड़ा। मन वही है, वह उतना ही संवेदनशील है, उतना ही सजग, जीवंत है; लेकिन रस का जो आकर्षण था वह खो गया। रस जो बुलाता था, पुकारता था, रस की जो पुनरावृत्ति की इच्छा थी—रस का आकर्षण है कि उसे फिर से दोहराओ; उसे फिर से दोहराओ; उसे दोहराओ बार-बार, उसके चक्कर में घूमो-वह खो गया है। वह बिलकुल खो गया है। उसकी पुनरुक्ति की कोई आकांक्षा नहीं रही। और हम ऐसे रसों तक की पुनरुक्ति करने लगते हैं जो चाहे जीवन को नष्ट करने वाले क्यों न हों। अब एक आदमी शराब पी रहा है। वह जानता है, सुनता है, पढ़ता है कि जहर है, पर उसकी भी पुनरुक्ति की मांग है। मन कहता है दोहराओ। एक आदमी धूम्रपान कर रहा है। वह जानता है कि वह निमंत्रण दे रहा है न मालूम कितनी बीमारियों को-वह भली-भांति जानता है। अगर किसी और को समझाना हो तो वह समझाता है। अगर अपने बेटे को रोकना हो तो वह कहता है-भलकर कभी धम्रपान मत करना। लेकिन वह खद करता है। पनरुक्ति की आकांक्षा है। हो जाएं, और विकृत रस भी संयुक्त हो जाते हैं, एसोसिएशन से। ___ शिलर एक जर्मन लेखक हुआ। जब उसने अपनी पहली कविता लिखी थी तो वृक्षों पर सेव पक गए थे, नीचे गिर रहे थे। वह उस बगीचे में बैठा था। कुछ सेव नीचे गिरकर सड़ गए थे, और सड़े हुए सेवों की गंध पूरी हवाओं में तैर रही थी। तभी उसने पहली कविता लिखी। यह पहली कविता का जन्म और सड़े हुए सेवों की गंध एसोसिएटेड हो गए, संयुक्त हो गए। इसके बाद शिलर जिंदगीभर कुछ भी न लिख सका जब तक अपनी टेबल के आसपास वह सड़े हुए सेव न रख ले। बिलकुल पागलपन था। वह खुद कहता था कि बिलकुल पागलपन है। लेकिन जब तक सड़े हुए सेवों की गंध नहीं आती, मेरे भीतर काव्य सक्रिय नहीं होता। उसमें गति नहीं पकड़ती। मैं साधारण आदमी बना रहता हूं, शिलर नहीं हो पाता। जैसे ही सड़े हुए सेवों की गंध चारों तरफ से मेरे नासापुटों को घेर लेती है, मैं बदल जाता हूं। मैं दूसरा आदमी हो जाता हूं। वह कहता था कि माना कि बड़ा रुग्ण मामला है कि सड़े हुए सेव, और भी गंधे हो सकती हैं, फूल रखे जा सकते हैं। लेकिन नहीं, यह संयुक्त हो गया। __ अगर एक आदमी सिगरेट पी रहा है तो सिगरेट का पहला अनुभव सुखद नहीं है, दुखद है। लेकिन यह दुखद अनुभव भी निरंतर दोहराने से किसी क्षण की अनुभूति से अगर संयुक्त हो गया, तो फिर जिंदगीभर पुनरुक्ति मांगता रहेगा। और हो सकता है संयुक्त। जब आप सिगरेट पीते हैं तो एक अर्थों में सारी दुनिया से टूट जाते हैं। सिगरेट पीना एक अर्थ में मैस्टरबेटरी है, वह हस्तमैथुन जैसी चीज है। मनोवैज्ञानिक ऐसा कहते हैं - आप अपने में ही बंद हो जाते हैं; दुनिया से कोई लेना-देना नहीं; अपना धुआं है, उड़ा रहे हैं, बैठे हैं। दुनिया टूट गयी, आपके और दुनिया के बीच एक स्मोक करटेन आ गया। पत्नी घर है, मतलब नहीं। दुकान चलती है कि नहीं चलती, मतलब नहीं। कहां क्या हो रहा है, मतलब नहीं। आपको इतना मतलब है कि आप धुआं भीतर खींच रहे हैं, बाहर छोड़ रहे हैं। आप सारे जगत से टूट गए, आइसोलेट हो गए। अकेले हो गए। अकेले में एक तरह का रस आता है, आइसोलेशन 217 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org