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________________ महावीर-वाणी भाग : 1 गया। अंगारा नहीं जलाता, आपकी ऊर्जा हट जाती है, इसलिए आप जलते हैं। अगर अंगारा भी रखा जाए हिप्नोटाइज्ड आदमी के हाथ में, और कहा जाए, ठण्डा कंकड़ है - नहीं जलाता है। क्योंकि हाथ की ऊर्जा अपनी जगह खड़ी रहती है। - इसका अर्थ यह भी हुआ कि ऊर्जा आपके संकल्प से हटती या घटती या आगे या पीछे होती है। कभी ऐसे छोटे-मोटे प्रयोग करके देखें, तो आपके खयाल में आसान हो जाएगा। थर्मामीटर से अपना ताप नाप लें। फिर थर्मामीटर को नीचे रख लें। दस मिनट आंख बन्द करके बैठ जाएं और एक ही भाव करें कि तीव्र रूप से गर्मी आपके शरीर में पैदा हो रही है -- सिर्फ भाव करें। और दस मिनट बाद आप फिर थर्मामीटर से नापें। आप चकित हो जाएंगे कि आपने थर्मामीटर के पारे को और ऊपर चढ़ने के लिए बाध्य कर दिया - सिर्फ भाव से। और अगर एक डिग्री चढ़ सकता है थर्मामीटर तो दस डिग्री क्यों नहीं चढ़ सकता है। फिर कोई कारण नहीं है, फिर आपके प्रयास की बात है, फिर आपके श्रम की बात है। और अगर दस डिग्री चढ़ सकता है तो दस डिग्री उतर क्यों नहीं सकता है। तिब्बत में हजारों वर्षों से साधक नग्न बर्फ की शिलाओं पर बैठा रहता है; ध्यान करने के लिए, घण्टों। कुल कारण है कि वह अपने आसपास, अपनी जीवन ऊर्जा के वर्तुल को सजग कर देता है, भाव से। तिब्बत यूनिवर्सिटी, ल्हासा विश्वविद्यालय अपने चिकित्सकों को, तिब्बतन मेडिसिन में जो लोग शिक्षा पाते थे; उनको तब तक डिग्री नहीं देता था - यह चीन के आक्रमण के पहले की बात है- तब तक डिग्री नहीं देता था, जब तक कि चिकित्सक बर्फ गिरती रात में खड़ा होकर अपने शरीर से पसीना न निकाल पाए। तब तक डिग्री नहीं देता था। क्योंकि जिस चिकित्सक का अपनी जीवन-ऊर्जा पर इतना प्रभाव नहीं है, वह दूसरे की जीवन-ऊर्जा को क्या प्रभावित करेगा। शिक्षा पूरी हो जाती थी, लेकिन डिग्री तो तभी मिलती थी। और आप चकित होंगे कि करीब-करीब जो लोग भी चिकित्सक हो जाते थे, वे सभी इसे करने में समर्थ होते थे। कोई इस वर्ष, कोई अगले वर्ष किसी को छह महीने लगता, किसी को सालभर। और जो बहुत ही अग्रणी हो जाते थे, जिन्हें पुरस्कार मिलते थे, गोल्ड मैडल मिलते थेवे, वे लोग होते थे जो कि रात में, बर्फ गिरती रात में एक बार नहीं, बीस-बीस बार शरीर से पसीना निकाल देते थे। और हर बार जब पसीना निकलता तो ठण्डे पानी से उनको नहला दिया जाता। वे फिर दोबारा पसीना निकाल देते, फिर तीसरी बार पसीना निकाल देते सिर्फ खयाल से, सिर्फ विचार से, सिर्फ संकल्प से। किरलियान फोटोग्राफी में जब कोई व्यक्ति संकल्प करता है ऊर्जा का तो वर्तुल बड़ा हो जाता है। फोटोग्राफी में वर्तुल बड़ा आ जाता है। जब आप घणा से भरे होते हैं, जब आप क्रोध से भरे होते हैं तब आपके शरीर से उसी तरह की ऊर्जा के गुच्छे निकलते हैं, जैसे मृत्यु में निकलते हैं। जब आप प्रेम से भरे होते हैं तब उल्टी घटना घटती है। जब आप करुणा से भरे होते हैं तब उल्टी घटती है। इस विराट ब्रह्म से आपकी तरफ ऊर्जा के गुच्छे प्रवेश करने लगते हैं। अब आप हैरान होंगे यह बात जानकर कि प्रेम में आप कुछ पाते हैं, क्रोध में कुछ देते हैं। आमतौर से प्रेम में हमें लगता है कि कुछ हम देते हैं और क्रोध में लगता है, हम कुछ छीनते हैं। प्रेम में हमें लगता है, कुछ हम देते हैं। लेकिन ध्यान रहे, प्रेम में आप पाते हैं। करुणा में आप पाते हैं, दया में आप पाते हैं। जीवन ऊर्जा आपकी बढ़ जाती है इसलिए क्रोध के बाद आप थक जाते हैं और करुणा के बाद आप और भी सशक्त, स्वच्छ, ताजे हो जाते हैं। इसलिए करुणावान कभी भी थकता नहीं। क्रोधी थका ही जीता है। किरलियान फोटोग्राफी के हिसाब से मृत्यु में जो घटना घटती है, वही छोटे अंश में क्रोध में घटती है। बड़े अंश में मृत्यु में घटती है, बहुत ऊर्जा बाहर निकलने लगती है। किरलियान ने एक फूल का चित्र लिया है जो अभी डाली से लगा है। उसके चारों तरफ ऊर्जा का जीवंत वर्तुल है और विराट से, चारों ओर से ऊर्जा की किरणें फूल में प्रवेश कर रही हैं। ये फोटोग्राफ अब उपलब्ध हैं, देखे 156 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340009
Book TitleMahavir Vani Lecture 09 Tap Urja Sharir ka Anubhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size71 MB
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