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________________ तप के संबंध में, मनुष्य की प्राण ऊर्जा को रूपान्तरण करने की प्रक्रिया के संबंध में और थोड़े-से वैज्ञानिक तथ्य समझ लेने आवश्यक हैं। धर्म भी विज्ञान है, या कहें परम विज्ञान है, सुप्रीम साइंस है। क्योंकि विज्ञान केवल पदार्थ का स्पर्श कर पाता है, धर्म उस चैतन्य भी, जिसका स्पर्श करना असम्भव मालूम पड़ता है। विज्ञान केवल पदार्थ को बदल पाता है, नए रूप दे पाता है; धर्म उस चेतना को भी रूपान्तरित करता है जिसे देखा भी नहीं जा सकता और छुआ भी नहीं जा सकता। इसलिए परम विज्ञान है। _ विज्ञान से अर्थ होता है -टु नो दि हाउ। किसी चीज को कैसे किया जा सकता है, इसे जानना। विज्ञान का अर्थ होता है - उस प्रक्रिया को जानना, उस पद्धति को जानना, उस व्यवस्था को जानना जिससे कुछ किया जा सकता है। बुद्ध कहते थे कि सत्य का अर्थ है - वह, जिससे कुछ किया जा सके। अगर सत्य इम्पोटेंट है, नसुंसक है, जिससे कुछ न हो सके, सिर्फ सिद्धान्त हो, तो व्यर्थ है। सत्य वही है, जो कुछ कर सके - कोई बदलाहट, कोई क्रान्ति, कोई परिवर्तन। और धर्म ऐसा ही सत्य है। इसलिए धर्म चिंतन नहीं है, विचार नहीं है; धर्म आमूल रूपान्तरण है, म्यूटेशन है। तप धर्म का, धर्म के रूपान्तरण की प्रक्रिया का प्राथमिक सूत्र है। तप किन आधारों पर खड़ा है, वह हम समझ लें। किन प्रक्रियाओं से आदमी को बदलता है, वह हम समझ लें। सबसे पहली बात इस जगत में जो भी हमें दिखाई पड़ता है, वह वैसा नहीं है जैसा दिखाई पड़ता है। क्योंकि जो भी दिखाई पड़ता है, वह मालूम होता है थिर पदार्थ है, ठहरा हुआ, जमा हुआ पदार्थ है। लेकिन अब विज्ञान कहता है - इस जगत में ठहरी हुई, जमी हुई कोई भी चीज नहीं है। जो कुछ है, सभी गत्यात्मक है, डाइनैमिक है। जिस कुर्सी पर आप बैठे हैं, वह ठहरी हुई चीज नहीं है; वह पूरे समय नदी के प्रवाह की तरह गत्यात्मक है। जो दीवार आपको चारों तरफ दिखाई पड़ती है, वह दीवार ठोस नहीं है। विज्ञान कहता है - अब ठोस जैसी कोई चीज जगत में नहीं है। वह जो दीवार चारों तरफ खड़ी है, वह भी तरल और लिक्विड है, बहाव है। लेकिन बहाव इतना तेज है कि आपकी आंखें उस बहाव के बीच के अन्तराल को, खाइयों को नहीं पकड़ पातीं। जैसे बिजली के पंखे को हम जोर से चला दें, इतने जोर से चला दें तो फिर आप उसकी पंखुड़ियों को नहीं गिन पाते। अगर बहुत गति से चलता हो तो लगेगा कि एक गोल वर्तुल ही घूम रहा है पंखुड़ियां नहीं। बीच की पंखुड़ियों की जो खाली जगह है, वह दिखाई नहीं पड़ती। __ वैज्ञानिक कहते हैं - बिजली के पंखे को इतनी तेजी से चलाया जा सकता है कि आप अगर गोली मारें तो बीच के स्थान से नहीं निकल सकेगी, खाली जगह से नहीं निकल सकेगी, पंखुड़ी को छेदकर निकलेगी। और इतने जोर से भी चलाया जा सकता है कि 151 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.340009
Book TitleMahavir Vani Lecture 09 Tap Urja Sharir ka Anubhav
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size71 MB
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