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________________ मंगल व लोकोत्तम की भावना नामोव ने कहा है कि दि अल्टीमेट वैपन इन वार इज गोइंग टु बी साइकिक पावर। यह धारणा की जो शक्ति है, यह आखिरी अस्त्र सिद्ध होगा। इस पर रोज काम बढ़ता चला जाता है। स्टेलिन जैसे लोगों की उत्सुकता तो निश्चित ही विनाश की तरफ होगी। महावीर जैसे लोगों की उत्सुकता निर्माण और सृजन की ओर है। इसलिए मंगल की धारणा, महावीर ने कहा है - भूलकर भी स्वप्न में भी कोई बरी धारणा मत करना, क्योंकि वह परिणाम ला सकती है। आप राह से गुजर रहे हैं, आप सोचते हैं, मैंने कुछ किया भी नहीं। एक मन में खयाल भर आ गया कि इस आदमी की हत्या कर दूं। आपने कुछ किया नहीं। कि इस दुकान से फलां चीज चुरा लूं, आप चोरी करने नहीं भी गये। लेकिन क्या आप निश्चिंत हो सकते हैं कि राह पर किसी चोर ने आपकी धारणा न पकड़ ली होगी? मास्को में एक हवा पिछले दो साल में प्रचलित हुई है कि कोई भी आदमी अपनी गर्दन खुजलाने के पहले चारों तरफ देख लेता है। क्योंकि यह प्रयोग चल रहा है दो साल से। मानेन नाम का वैज्ञानिक सड़कों पर प्रयोग कर रहा है। वह आपके पीछे आकर कहेगा, 'आपकी गर्दन पर कीड़ा चढ़ रहा है' - मन में अपने - 'गर्दन खुजला रही है, खुजलाओ जल्दी' और लोग खुजलाने लगते हैं। अब तो यह खबर इतनी फैल गयी है क्योंकि उसने हजारों लोगों पर प्रयोग किया है - राह के चौरस्तों पर खड़े होकर, होटल में बैठकर, ट्रेन में चढ़कर। और मानेन इतना सफल हुआ है कि नाइनटी एट परसेंट, अट्ठानबे प्रतिशत सही होता है। जिसके पीछे खड़े होकर, वह भावना करता है कि गर्दन खुजला रही है, कीड़ा चढ़ रहा है, जल्दी खुजलाओ। वह जल्दी खुजलाता है। अब तो लोगों को पता चल गया है। सच में भी कीड़ा चढ़ा हो तो लोग पहले देख लेते हैं कि वह मानेन नाम का आदमी आसपास तो नहीं है! जब से मानेन का प्रयोग सफल हुआ है तब से मस्तिष्क के बाबत एक नयी जानकारी मिली है। और वह यह कि मस्तिष्क सामने से जितनी शक्ति रखता है, उससे चौगुनी शक्ति मस्तिष्क के पीछे के हिस्से में है। __तो पीछे से व्यक्ति को जल्दी प्रभावित किया जा सकता है। सामने सिर्फ एक हिस्सा है, चार गुना पीछे है। और जो लोग, जैसे कि मैसिंग, या कल मैंने आपको कहा नेल्या नाम की महिला, जो वस्तुओं को सरका सकती है - इनके मस्तिष्क के अध्ययन से पता चलता है कि इनका मस्तिष्क पीछे पचास गुनी शक्ति से भरा हुआ है -- सामने एक तो पीछे पचास। योग की निरंतर धारणा रही है कि मनुष्य का असली मस्तिष्क छिपा हुआ पीछे पड़ा है। और जब तक वह सक्रिय नहीं होता तब तक मनुष्य अपनी पूर्ण गरिमा को उपलब्ध नहीं होगा। ___ यह भी हैरानी की बात है कि अगर आप कोई बुरा विचार करते हैं, तो प्रकृति का अदभुत नियम है कि आप मस्तिष्क के अगले हिस्से से करते हैं। मस्तिष्क का प्रत्येक हिस्सा अलग-अलग काम करता है। अगर आपको हत्या करनी है तो उसका विचार आपके मस्तिष्क के ऊपरी, सामने के हिस्से में चलता है। और अगर आपको किसी की सहायता करनी है तो पीछे, अंतिम हिस्से में चलत प्रकृति ने इंतजाम किया हुआ है कि शुभ की ओर आपको ज्यादा शक्ति दी हुई है, अशुभ की ओर कम शक्ति दी हुई है। लेकिन शुभ जगत में दिखाई नहीं पड़ता और अशुभ जगत में बहुत दिखाई पड़ता है। हम शुभ की कामना ही नहीं करते। या अगर हम कामना भी करते हैं तो हम तत्काल विपरीत कामना करके उसे काट देते हैं। जैसे एक मां अपने बच्चे के जीने की कितनी कामना करती है— बड़ा हो, जीये। लेकिन किसी क्षण क्रोध में कह देती है : तू तो होते से ही मर जाता तो बेहतर था। उसे पता नहीं है कि चार दफा उसने कामनाकी हो शुभ की और यह एक दफा अशुभ की, तो भी विषाक्त हो जाता है सब, कट जातीहै कामना। ___महावीर अपने साधुओं को कहते थे कि मंगल की कामना में डूबे रहो चौबीस घंटे - उठते, बैठते, श्वास लेते, छोड़ते। स्वभावर.. मंगल की कामना शिखर से शुरू करनी चाहिए इसलिए वे कहते हैं- 'अरिहंत मंगल हैं। वे जिनके आंतरिक समस्त रोग समाप्त हो 23 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340002
Book TitleMahavir Vani Lecture 02 Mangal va Lokottam ki Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size92 MB
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