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259 मेट्रिकनी परीक्षामां आ ज दशकुमारचरितनुं ज्ञान जाणेअजाणे काम आवी गयु. आ संदर्भमां वात करतां भायाणीदादा कहे छे : 'संस्कृतमां अनुवाद करवानो हतो. आ सवाल माटे संस्कृतना कोई पण ग्रंथमांथी संदर्भ लेवानी परीक्षकने छूट हती. परंतु योगानुयोग तो जुओ. परीक्षके दशकुमार चरितमांथी ज एक फकरा- अंग्रेजी रूपांतर करीने अने सवाल तरीके मूक्यो हतो अने अमारे ए ज फकरा, संस्कृतमां भाषांतर करवानुं हतुं.'
परीक्षामां पुछायेला फकरामां एक शब्द हतो, स्ट्रोनग पोइझन....अर्थात उग्र झेर. हवे जो आ शब्दनो संस्कृतमां अनुवाद करवानो होय तो पोइझन एटले विष थाय. परंतु स्ट्रोन्ग पोइझननो संस्कृत अनुवाद शो थतो हशे ?
_ 'अमे तो जैन मुनि पासे दशकुमारचरित शीखेला ओटले मने अनुवाद करवामां मूंझवण थई नहीं.' आम कहीने भायाणीदादा उमेरे छे: 'मने बराबर याद हतुं के उग्र झेर एटले उल्बणं विषम्... में तो फकरानो बराबर अनुवाद को. परिणामे संस्कृतमां मने सोमांथी ८२ मार्क्स मळ्या. अने पछी तो आठ रूपियानी स्कॉलरशिप पण मळी.'
जोके एकाद वर्षमां ज स्कोलरशिप मळती बंध थई गई. आ विशे वात करतां हरिवल्लभ भायाणी कहे छे : 'मेट्रिक पछी बीजा मित्रोए सायन्स लीधुं एटले में पण ए ज शाखामा प्रवेश लीधो. परंतु विज्ञानना विषयोमां रस पडतो नहीं. बहारनुं वांचन वधु करतो एटले परीक्षामा ध्यान आपी शक्यो नहीं. परिणामे नापास थयो अने स्कोलरशिप मळती बंध थई गई.'
एकवार नापास थयेला हरिवल्लभे नासीपास थया विना ज्ञातिनी स्कॉलरशिप माटे अरजी करी. अरजी मंजूर थई गई एटले भावनगरनी कोलेजमां एमणे आसमां एडमिशन लई लीधुं. त्यार पछी संस्कृतना विषय साथे बी.ए. कर्यु अने मुंबई आवीने एम.ओ., पीएच.डी. कर्यु.
१९५१नी सालमां पीएच.डी. कर्या पछी बराबर त्रण वर्ष बाद हरिवल्लभ भायाणीनुं 'वाग्व्यापार' नामनुं पुस्तक प्रगट थयु. १९५४नी सालमां प्रसिद्ध थयेला आ भाषाविषयक पुस्तकनी पूर्वभूमिका समजावतां भायाणीदादा कहे छे : 'हुं पीएच.डी. करतो हतो त्यारे भारतीय विद्याभवननी लाइब्रेरीमां आर. एल. टर्नरलिखित नेपाळी कोश जोयेलो. आ कोशमां प्रत्येक शब्दना
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