________________
243
भायाणीसाहेबनी विद्वत्तानो एक मोटो गुण ते एमनी स्पष्ट समज अने विशद अभिव्यक्ति. मारा 'भाषा-परिचय अने गुजराती भाषानुं स्वरूप' विशे अभिप्राय आपतां भृगुराय अंजारियाए लखेलुं के "कंईक अंशे विशद रूपे मूक, ए तमारी प्रतिभामां खास छे. भायाणीनी प्रतिभामां जराक ऊलटुं छे." मने आ निरीक्षण यथार्थ न लागे. भायाणीसाहेबनी अने मारी विशदता जुदी कोटिनी छे. ओमनी एक विद्वाननी विशदता छे, मारी एक शिक्षकनी. भृगुराये ज कडं छे तेम, "भायाणीसाहेब पोते वरसेवरसे नवा ख्यालनी स्पष्टताथी नवी नवी विकास-भूमिका रचता जता होय, रस्तो पोते ज खोदे अने पोते ज पछी एना उपर चाले ए स्थितिमां मुकाता होय" त्यां कोई वार कूटता रही जती होय तो ए अनिवार्य ज लेखाय. बाकी भायाणीसाहेब जे कक्षाए लखे छे ए कक्षाए अमना जेटली विशदता सिद्ध करनार बीजो विद्वान में जाण्यो नथी. एमनो अनुवाद-तारण-संकलनरूप लेख पण आ गुणथी अंकित होय.
मने याद छे के एक वखते गुजराती विद्वानो संरचनावाद (स्ट्रक्चरालिझम) पर मची पडेला. अमनां लखाणो वांचता हुं भूलो पडी जतो हतो. त्यां भायाणीसाहेबनो एक लेख मारा हाथमां आव्यो अने संरचनावादनो एक नकशो जाणे मळी गयो. साहित्यपरिषद तरफथी अपाता रामप्रसाद बक्षी पारितोषिकमां प्रमोदकुमार पटेल अने हुं एक वखते निर्णायक हता. अमारी सामे सुरेश जोशी, अने भायाणीसाहेब- एम बे पुस्तको छेवटे रह्या. सुरेश जोशीनुं पुस्तक मौलिकतानी छापवाळु हतुं पण एमां अमने विचारप्रवाह खोडंगातो अने अविशद बनतो लाग्यो. भायाणीसाहेबना पुस्तकनी बधी नहीं पण ठीकठीक सामग्री अनुवाद-तारणरूप हती (एनो निर्देश करवानी भायाणी साहेबनी प्रामाणिकता अनन्य, बाकी आपणे त्यां घj उछीनू-पाछी, लीधेलु मौलिकताने नामे खपतुं होय छे), पण एनी विशदता असाधारण हती ने सामग्री अत्यंत उपयोगी तो हती ज. थोडी मथामण पछी अमे भायाणीसाहेबना पुस्तक पर ज पसंदगी उतारी.
अद्यतन दृष्टि अने आ स्पष्ट समजे ज सौने भायाणीसाहेब पासे मदद-मार्गदर्शन माटे जता कर्या. भायाणीसाहेबनी बीजाना काममां रस लेवानी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org