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माझमराति' शरत् पूर्णिमानी रात्रे आ रचना थई छे. कविहृदय-भक्तना हृदयने खीलववा माटे शरद् ऋतु अने तेमां पूनमनी रात्रि, खीलेला पूर्णचंद्रनी वरसती चांदनी पर्याप्त छे. दरियामा जेम तरंगमाला उभरे तेम कविहृदयमां काव्यनी सरवाणी वह्या विना न रहे.
एमां प्रभु सीमंधरस्वामीने विनतिनो विषय तेथी तेमा भक्तिनी छटा उमेराई छे. प्रभुने प्रियतम बनाव्या पछी तेनी साथेनी गोठडीमां विरह-संयोगमिलन अने ते विषेनी ऊर्मिओ केवी उछळती रहे तेना दर्शन अहीं थाय छे. आ ढाळो गाती वखते जे आनंदनो अनुभव थाय छे ते तो अनुभवगम्य घटना
कल्पनावैविध्य, उपमावैचित्र्य घणां स्थाने जोवा मळे छे. "सवि अक्षर हीरे जड्या, लेख अमूलिक एह" एम पोते ज कहे छे. एक मनोरम कृति छे. प्रतिपरिचय :
आ रचनानी प्रतो भिन्न भंडारोमां मळे छे. अहीं तो ला.द.भारतीय संस्कृति विद्यामंदिरनी क्र. ६५२१. ए प्रतने मुख्य राखी छे अने पछी ते ज भंडारनी क्र. २४८१४ अने २७२३६ एम बे प्रतो साथे पाठभेदनी दृष्टिए मेळवी छे. पण ते बन्ने प्रतोमा पाठभेद तो खास नथी मळ्या पण ते अशुद्ध जणाई छे. उपयोगमा लीधेली प्रतनां त्रण पत्र छे. पत्रनी बन्ने बाजुए तेर लीटी छे. छेल्ला पत्रनी बीजो बाजुए पांच लीटी छे. प्रतना अक्षर मरोडदार अने मोटा छे. प्रत शुद्ध लखाई छे. ख ने माटे ष वपरायो छे. लहीयानुं नाम नथी. लेखन संवत पण नथी. प्रत सत्तरमी सदीनी होवानुं अनुमान थई शके छे. अंतमां पं. हेमराजपठनार्थे एम लखेलुं छे. प्रतो घणे भंडारे मळे छे माटे तेनो प्रसार सारो एवो थयो हशे एम लागे छे. अंते कृतिना शब्दोनी अर्थ साथे सूची आपी छे. आ रचनानी अने शब्दकोषनी (फेर कोपी) स्वच्छ नकलमां श्रीकांतिभाई बी. शाहनी सहाय मळी छे तेनु सानंद स्मरण करुं छु.
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