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'ध न्यू हिस्टोरिझम' जेवा ग्रंथोमांनां लखाणने अनुषंगे तथा आ विषयना मारा प्रत्यक्ष अभ्यास अने डॉ. भायाणी साहेबनी साथेनी चर्चाने आधारे पथ्यरूप जणायेली विगतो अत्रे प्रस्तुत करी छे.
(१)
मध्यकालीन गुजराती साहित्यना इतिहासलेखननी सामग्रीना एकत्रीकरण माटे
(१) तमाम हस्तप्रत भंडारना मुद्रित सूचिपत्रो, अमुद्रित सूचिपत्रो (२) एवा संदर्भग्रंथो, सामयिको अने अप्रगट महानिबंधो के जेमां मध्यकालीन कर्ता - कृतिओ विषये मूल्यांकन होय (३) बृहद काव्यसंचयो, सामयिको अने संपादनो के जेमां मध्यकालीन कर्तानी कृति आखी के आंशिक मुद्रित स्वरूपे जळवाई होय. उपरांत भजन संपादनो, धर्मांतरित प्रजाना साहित्यना संचयोमांथी कर्ताओनी यादी तैयार करी तेथी 'साहित्यकोश: मध्यकाळ' मां छे एना करतां वधु संख्यामा कर्तानी सूचि तैयार थई समयनिर्देश माटे 'साहित्यकोश' नी सामग्रीने ज अधिकृत गणीने ए अकारादिक्रमनी सामग्री अहीं संवर्धितरूपे समयानुक्रमे गोठवी बधा मळीने कुल २९०० जेटला कर्ताओने अहीं रचना ई.स., लेखन ई.स., पूर्वार्ध, उत्तरार्ध अने अनुमाने शताब्दीनी संज्ञाथी गोठवीने एमनी रचना ई.स.ना निर्देशयुक्त, पछी ले. ई.स. निर्देशयुक्त अने पछी समयनिर्देश विनानी कृतिओने निर्देशी छे, समयनिर्णयना संदर्भमां अत्यंत अधिकृत अने हस्तप्रतना प्रमाणने ज स्वीकृत गणवामां आव्युं छे. पूर्वार्ध, उत्तरार्ध अने अनुमाने शताब्दीना निर्णय माटे खास तर्कपूर्ण पद्धति अपनावी छे. (विशेष विगत माटे जुओ लेखकनो 'भालणना चरित्र अने समय विशे' लेख, फार्बस त्रैमासिक' ओक्टोबर - डिसेम्बर १९८७, पृ. ३८० थी ३८७) मध्यकालीन गुजराती साहित्यना इतिहासलेखनमां परिभाषानो विनियोग पण महत्त्वनी बाबत छे तमे जो मध्यकालीन साहित्यनी परंपराना संदर्भनी विगतो आलेखता हो त्यारे अर्वाचीनकाळ एवी परिभाषा न प्रयोजाय पण उत्तरभक्तियुग जेवी परिभाषा प्रयोजवानी रहे. मुनशी, मजमुदार विजयराय वगेरेए प्रयोजेल पण छे. ए ज रीते ए परंपरानी
(२)
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