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अनुसन्धान-५४ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-२
वसुनो वंशज कहे छे - जे सम्भवतः चेदिराज वसु छे. ईस. पूर्वे छठ्ठी सदी दरम्यान यमुना किनारे बुन्देलखण्डमां चेदि राज्य अस्तित्व धरावतुं हतुं. सम्भवतः अहींथी तेनी कोई शाखा कलिंग जईने वसी होय. आ राजवंशनो इतिहास उदयगिरिमांथी केटलाक अभिलेखोथी जाणी शकाय छे. आमांनो हाथीगुफानो खारवेलनो शिलालेख अत्यधिक महत्त्वनो छे. गुजराती खार-खाराशना मूळनी जेम 'खारवेल'मां पण खार-क्षार शब्द रह्यो छे. डॉ. काशीप्रसाद जयस्वालना मतानुसार खारवेल शब्द सं. क्षार+वेल शब्दो मळी बनेल छे. जेनो अर्थ थाय छे - खारी लहेरोवाळो अर्थात् समुद्र. डॉ. दिनेशचन्द्र सरकार पण आ मतने स्वीकारी तेनो अर्थ 'समुद्र किनारे शासन करनार (शासक)' दर्शावे छे.
उदयगिरिनी टेकरीओमां बौद्ध-जैनोनी घणी गुफाओ आवेली छे. आमांनी केटलीक तो ई.स.पूर्वे त्रीजी सदी पूर्वेनी छे. भारतना पूर्वभागमां बंगाळना उपसागरना कांठे आवेल वर्तमान ओरिस्सा (Orissa) स्थानिक भाषामां उडिया ओडिया (सं. ओडू) छे. तेनी राजधानी भुवनेश्वरथी पश्चिम आवेल उदयगिरि नवं नाम होवानो केशवलाल ह. ध्रुवनो मत छे. तेनुं प्राचीन नाम 'कुमारपर्वत' होवानुं तेओ जणावे छे एटलुं ज नहि उदयगिरि > ओड्रगिरि (सं.) > उड्डयगिरि (प्रा.) परथी बन्यानुं जणावे छे.१
हाथीगुफाना प्रवेशद्वारे कठण-बरड पथ्थर अंकित आ लेखनो काळनी थापटो-घसाराने कारणे मध्यनो केटलोक भाग नष्ट थई गयेल छे. आम छतां जे अवशेष छे ते पण ऐतिहासिक दृष्टिए अत्यधिक महत्त्व धरावे छे. सहु प्रथम प्रस्तुत लेखनी भाळ अने एकाधिक विद्वानोए तेना करेला वाचन अने पाठभेदनी विगत तपासीए.
प्रस्तुत शिलालेख (१५.१ x ५.६')मां अलङ्कारविहीन सरळ अने सहज भाषामां कुल १७ पंक्तिओ छे, एक पंक्तिमा ९० थी १०० अक्षर अंकित छे. पाली साथे मळती प्राकृत भाषामां ते ब्राह्मीलिपिमां अंकित छे. लेखनी बन्ने बाजु बे-बे चिह्न अंकित छे. सामान्य रीते प्राचीन अभिलेखोमां आवा-कमळ, वर्तुळ, स्वस्तिक जेवा चिह्न अंकित कराता. आ लेखनी सर्व प्रथम भाळ फाधर ओ. स्टलिंगे (A. Stirling) १८२०मां मेळवी कर्नल मैकन्झी (Mackenzie) नी सहायथी ओक अपूर्ण वाचना तैयार करी १८२५मां अनुवाद विना Asiatic १. साहित्य अने विवेचन. केशवलाल ह. ध्रुव, अमदावाद : १९९५ (बी.आ.) पृ. १११-१४