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मई २०११
शीर्षक, कर्ता अने अन्य महत्त्वपूर्ण सूचिओ तैयार करीने आपवी. भारतीय भाषाओना आदि - अन्त वगेरे जे ते भाषानी लिपिमां नोंधवा, परन्तु संस्कृत हस्तप्रतोना आदि-अन्त वगेरे देवनागरी लिपिमां नोंधवा. १५
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१९४७ थी १९९० सुधी भारतीय हस्तप्रतोनां कुल ३९२ सूचिपत्रो अने तेना कुल ८४८ खण्डो प्रकाशित थया छे. ओक अंदाज अनुसार १९९१ थी २०११ सुधी अंदाजित ५०० जेटला खण्डो प्रकाशित थया हशे . आ सूचिपत्रो अने १९४७ पूर्वेनां सूचिपत्रो वच्चे मुख्य तफावत से जोवा मळे छे के जे केटलाक अपवादो बाद करतां विद्वत्तापूर्ण प्रस्तावनानो अभाव तथा महत्त्वनी हस्तप्रतो के अप्रकाशित कृतिओ विशे कवचित ज उल्लेखो जोवा मळे छे. जर्मनीना विविध ग्रन्थालयोमां संगृहीत पौर्वात्य हस्तप्रतोना विवरणात्मक अने विस्तृत सूचिपत्रोना प्रकाशननो प्रोजेक्ट १९६२ थी चाली रह्यो छे, जेना ३२ खण्डो प्रकाशित थई चूक्या छे, तथा ब्रिटिश लाईब्रेरी अने इन्डिया ऑफिस लाईब्रेरीना संग्रहनी भारतीय भाषाओनां १५ थी अधिक विवरणात्मक सूचिपत्रो आ समयगाळामां प्रकाशित थयां छे. आ कार्यकाळ दरम्यान जेमणे पाटण, जेसलमेर, खंभात, एल.डी. इन्डोलोजी वगेरेनां सूचिपत्रो तैयार कर्या तेवा प्रखर जैनाचार्य आगम प्रभाकर मुनि पुण्यविजयजी अने प्राच्यविद्याविद् मुनि जिनविजयजीनुं हस्तप्रतोनां सूचिपत्रोना सम्पादन उपरान्त महत्त्वपूर्ण कृतिओना सम्पादन - प्रकाशन क्षेत्रे यशस्वी योगदान रह्युं छे. ओक अन्य मुनि भगवन्त श्रीपद्मसागरजीने पण याद करवा रह्या के जेमणे श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा, गांधीनगर अन्तर्गत आचार्य श्री कैलाशसागरजी जैन ज्ञानमन्दिरमां बे लाख जेटली हस्तप्रतो अकठी करी अने ८ खण्डोमां अंदाजित ३५००० जेटली हस्तप्रतोनां सूचिपत्रो प्रगट कर्यां छे. राजस्था प्राच्यविद्या मन्दिर, जोधपुर, वेंकटेश्वर ओरिओन्टल रिसर्च इन्स्टिट्यूट, तिरूपति, बी. एल. इन्स्टिट्यूट ऑफ इन्डोलोजी, दिल्ही, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नवी दिल्ही, केन्द्रिय संस्कृत विद्यापीठो वगेरे जेवी मोटी विद्वत संस्थाओनी स्थापना आ समयमां थइ अने आ संस्थाओनां सूचिपत्रोना प्रकाशननुं कार्य पण नोंधपात्र रह्युं छे. आ समयनी सौथी मोटी औतिहासिक घटना ए के जेनुं बीज १८६८मां रोपायुं हतुं ते 'नेशनल मिशन फॉर मेन्युस्क्रिप्टस' (२००३) अने इन्दिरा गांधी नेशनल सेन्टर फॉर