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मई २०११
cal Register of Sanskrit Works and Authors, (Vol. I 1891, Vol. II 1896 and Vol. III 1903) अ हस्तप्रतोनां सूचिपत्रो अने भारतीयविद्या क्षेत्रनी ओक शकवर्ती घटना छे. आ केटलोगना माध्यमथी कई कृति भारत के भारत बहार संगृहीत छे ते उजागर थयुं. आ केटलोग भारतीय साहित्यनो आयनो बनी रह्युं अने खूब ज उपयोगी पुरवार थयुं.
५. ३ राष्ट्रीय जागृतिकाळ (१९०१ थी १९४७)
साहित्य, समाज, राजकारण वगेरे क्षेत्रे आ काळ भारतमां राष्ट्रीय चेतनानी जागृतिना समय तरीके अभिधानित करवामां आवे छे. आ समय दरम्यान राष्ट्रिय स्वातन्त्र्यनी चळवळे जोर पकडतां अंग्रेजोओ अन्ततः १९४७नी १५मी ओगस्टे भारतने आझादी आपवी पडी. राष्ट्रीय शाळाओनी स्थापनानी जेम ज भारतना विविध प्रदेशोमां भारतीयविद्यानां संशोधन संस्थाओनी स्थापना करवामां आवी. आ संस्थाओओ संशोधन प्रवृत्तिओने वेग आपवा उपरान्त हस्तप्रतसंग्रह माटे पण विशेष ध्यान आप्युं, तेमज वर्णनात्मक सूचिपत्रोनां प्रकाशनो पण कराव्यां संस्कृत - प्राकृत - पालि उपरान्त आधुनिक भारतीय भाषाओनी हस्तप्रतोनां सूचिपत्रोनुं प्रकाशन पण करवामां आव्युं. भारतीयविद्या संस्थाओ पैकी भण्डारकर ओरिएन्टल रिसर्च इन्स्टिट्यूट, पूना (१९१९), प्राच्यविद्या मन्दिर, वडोदरा (१९२७) सिंधिया ओरिओन्टल रिसर्च इन्स्टिट्यूट (उज्जैन) वगेरे उल्लेखनीय छे. वडोदराना महाराजा सर सयाजीराव गायकवाडे श्री आर.ओ. शास्त्रीनी निमणूक हस्तप्रतोनी खरीदी करवा माटे करतां तेणे देशमांथी फरी फरीने १०००० जेटली प्रतो प्राच्यविद्या मन्दिर माटे अकठी करी हती. श्री शास्त्रीओ हस्तप्रतोनी प्राप्ति सन्दर्भे ओक डायरी तैयार करी हती, जे हालमां मद्रास युनिवर्सिटीना संस्कृत विभागमां सचवायेली छे. आ समयगाळामां कुल २५६ (५५९ खण्डो) सूचिपत्रो प्रगट थयां हतां. भारतीय विद्वानो पैकी हरप्रसाद शास्त्री, गोपीनाथ कविराज, कुप्पुस्वामी शास्त्री, अस. के. बेलवलकर, हीरालाल कापडिया, अस. ओम. कत्रे, पी.पी. सुब्रह्मण्य शास्त्री, पी.पी. अस शास्त्री, मणिन्द्र मोहन बसु, मोतीलाल मेनारीया वगेरे अने पाश्चात्त्य विद्वानो पैकी A.B. Keith, James Blumhardt, J. D. Pearson वगेरेओ सूचिपत्रोना सम्पादनमां नोंधपात्र फाळो आप्यो छे आ बधां सूचिपत्रो विद्वानो द्वारा सम्पादित
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