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अनुसन्धान- ५५
become almost a classic with Sanskritists, and has served as model for subsequent work in the field of the recovery of Sanskrit manuscripts and the presentation of the results in proper light.' गणवामां आव्या हता. १३ १० वर्ष बाद भारतना समग्र सर्वेक्षण कार्यनी समीक्षा करवामां आवी त्यारे बोम्बे प्रेसिडेन्सीना कार्यने 'most satisfactory' ‘highest satisfaction at what had already been effected, especially by Dr. Buhler and Dr. Keilhorn of Bombay.' तरीके नवाजवामां आवेल. ज्यारे समग्र भारतीय स्तरनां सर्वेक्षण परिणामोने 'such as to warrant the prosecution of the search १४ तरीके ओळखावेल. मुंबइ सरकार द्वारा खरीदवामां आवेली हस्तप्रतो पाश्चात्त्य अने भारतीय विद्वानो जेमके Prof. Whitney (New Haven ), Prof. Foucaux (Paris), Rajendralal Mitra (Calcutta) वगेरेने तेमना उपयोग अर्थे पण पूरी पाडवामां आवी हती. अर्थात् हस्तप्रतोनो मात्र संग्रह न करतां तेनो उपयोग थाय तेवो अभिगम अपनाववामां आव्यो. आ उपरान्त त्रिवेन्द्रमना महाराजानी पेलेस लाईब्रेरी, तांजोर संग्रह, बनारस संस्कृत कॉलेज, महाराजा अलवरनो संग्रह, गवर्मेन्ट लाईब्रेरी, मद्रास वगेरेनां सूचिपत्रो तैयार करवामां आव्यां. आ बधां सर्वेक्षणोथी घणी बधी अलभ्य कृतिओ प्रकाशमां आवी. परिणामस्वरूपे पाश्चात्त्य विद्वानो भारतीय साहित्यनी उपलब्धिओथी प्रभावित थया अने भारतीयविद्यानो सघन अभ्यास करवा प्रेराया.
आ समयगाळा दरम्यान प्रकाशित कुल १५४ सूचिपत्रो पैकी ८३ विदेशोमांथी अने ७१ भारतमांथी प्रगट करवामां आव्यां हतां विदेशोमां प्रकाशित सूचिपत्रो पैकी इन्डिया ऑफिस लाइब्रेरी एन्ड रेकर्डस, लंडनना प्रथम खण्डना ६ भाग १८८७ थी १८९९ दरम्यान प्रगट थया, जेनुं सम्पादन Julius Eggeling द्वारा करवामां आव्युं हतुं. प्रत्येक हस्तप्रतना कर्ता, शीर्षक, टीकाकार वगेरे भौतिक माहिती उपरान्त हस्तप्रतना पाठना केटलाक अंशो, आदि-अन्त अने विवेचनात्मक नोंध धरावतुं आ सूचिपत्र हस्तप्रतोनी प्राचीनता, अलभ्यता तथा शास्त्रीय सूचिकरणनी दृष्टि अति मूल्यवान अने नमूनेदार छे.
Theodor Aufrecht द्वारा ३० वर्षनी महेनतना अन्ते ९८ सूचिपत्रोना आधारे तैयार करवामां आवेल 'Catalogus Catalogorum : An Alphabeti