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मई २०११
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भारतीय हस्तप्रतोनां सूचिपत्रो : जैतिहासिक परिप्रेक्ष्यमा विवेचनात्मक अभ्यास
मणिभाई प्रजापति
१. प्रस्तावना :
प्राचीन-मध्यकालीन हस्तप्रतोनी संख्यानी दृष्टिले भारतनी विश्वना सौथी समृद्ध देशोमां गणना करवामां आवे छे. आ हस्तप्रतो भारतनी सांस्कृतिक धरोहर छे, के जेमां प्राचीन-मध्यकालीन युगमां भारते साहित्य, धर्म-दर्शन, विज्ञान, कला वगेरे क्षेत्रे मेळवेल सिद्धिओनुं दर्शन थाय छे. बिस्वास अने प्रजापतिना सर्वेक्षण अनुसार भारतमां ५० लाखथी अधिक हस्तप्रतो प्राप्त छे.
आ पैकी अंदाजित ६७% संस्कृत, प्राकृत, पालि, २५% आधुनिक भारतीय भाषाओनी अने ८% अरेबिक, पर्शियन वगेरे हस्तप्रतो छे. आ बधी हस्तप्रतो ज्ञानविश्वना विविध विषयोमां भारतनी विविध प्राचीन अने आधुनिक भाषाओ जेम के संस्कृत, प्राकृत, पालि, हिन्दी, बंगाळी, गुजराती, उडिया, मराठी, कन्नड, तमिल, मलयालम, तेलुगु, पंजाबी, काश्मिरी, उर्दू वगेरेमां अने विविध लिपिओमां उदा. तरीके देवनागरी, शारदा, बंगाळी, ग्रन्थ, गुरुमुखी, गुजराती, कन्नड, मलयालम वगेरेमां अने विविध माध्यमोमां जेम के भोजपत्र, ताडपत्र, कागळ, कापड वगेरे उपर लखायेली छे. आ बधी हस्तप्रतो विविध प्रकारनी सार्वजनिक, सरकारी, सामाजिक-धार्मिक संस्थाओ अने अंगत मालिकीना संग्रहोमां संगृहीत छे. भारतीय हस्तप्रतो भारत उपरान्त विदेशोनां विविध प्रकारनां ग्रन्थालयोमां पण संगृहीत छे. आ पैकी अंदाजित ६०,००० जेटली हस्तप्रतो युरोप अने अमेरिकामां अने १,५०,००० जेटली हस्तप्रतो पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाळ, श्रीलंका, तिबेट, चीन, जापान वगेरे देशोमां संग्रहायेली छे. २. हस्तप्रत सूचिकरणनी विभावना :
सामान्यतः सूचिकरण (Cataloguing)नो मूळभूत हेतु कोई ओक ग्रन्थालयमां कोई ओक कर्ता के कोई ओक शीर्षक के कोई अक विषय हेठळनुं पुस्तक प्राप्य छे के केम ते जाणवानो रह्यो छे. हस्तप्रत संग्रह कक्षमां