________________
मई २०११
८७
बीजो समभिरूढ नय संज्ञाभेदे पण ते ते पदथी वाच्य पदार्थोने जुदा गणे छे. अर्थात् तेना मते 'घटः' अने 'कुम्भः' पदथी उपस्थित थती व्यक्ति जुदी-जुदी छे. दरेक शब्दनी व्युत्पत्ति जुदी होय छे अने पदथी थतो बोध पण जे व्युत्पत्तिने अनुसरीने जुदो-जुदो थाय छे अवो आ नयनो अभिप्राय छे.१
शब्दनयोमां त्रीजो अवम्भूत नय तो अत्यन्त सूक्ष्मग्राही होवाथी अवस्थाभेदे पण वाच्यतानो भेद गणे छे. मतलब के तेना मते तो पदार्थना वाचक तरीके जे शब्दो स्वीकृत छे, ते शब्दोथी ते पदार्थ खरेखर त्यारे ज वाच्य बने छे, ज्यारे ओ शब्दोनी व्युत्पत्तिमां जे क्रिया समायेली छे ते क्रिया ते पदार्थमां वर्तमान होय, ओ सिवाय नहीं. आनो अर्थ ओ थाय के इन्द्रने त्यारे ज 'इन्द्रः' कहेवाय के ज्यारे 'इन्द्र' शब्दनी व्युत्पत्तिमां समायेली इन्दनक्रियाऔश्वर्यनो अनुभव ओ करतो होय. ज्यारे ओ देवसभामां बिराजमान थइने पोताना औश्वर्यनो अनुभव नथी करी रह्यो, त्यारे अने अन्य कंइ पण कहो, इन्द्र तो नहीं ज कहेवाय. ढूंकमां, अेक पदार्थनी (दा.त. इन्द्र तरीके ओळखाती व्यक्तिनी) अवस्था बदलाय तेम ते पदार्थनिष्ठ वाच्यता पण बदलाय अवो आ नयनो अभिप्राय छे.२ १. आनुं तात्पर्य ओम समजाय छे के जे शब्दोने आपणे पर्यायवाची गणीओ छीओ, ते शब्दोनी
अर्थछायामां वास्तवमा सूक्ष्म तफावत होय छे ज. आ नय सूक्ष्मग्राही होवाथी आ सूक्ष्म तफावतने पण पकडे छे, अने तेथी चोक्कस सन्दर्भे चोक्कस शब्दोनो प्रयोग अने ते शब्दोथी चोक्कस पदार्थोनो बोध स्वीकारे छे. आपणे व्यवहारमा पण पर्यायवाची शब्दोने सन्दर्भ अनुसार ज प्रयोजीओ छीओ. जेमके 'नेत्र' अने 'डोळा' बंने शब्दो चक्षुवाची होवा छतां 'तारा डोळा सुन्दर छे' के 'नेत्रो केम काढे छे ?' अवां वाक्यो आपणे नथी ज बोलता. २. द्रव्यमा जे पर्याय वर्तमान होय, ओ ज पर्यायनी मुख्यताओ द्रव्यने जणावq ओ भावनिक्षेप
गणाय छे. अने से पर्यायनी अतीत के अनागत अवस्थामां पण द्रव्यनो ते पर्यायनी मुख्यताओ व्यवहार ते द्रव्यनिक्षेप छे. अवम्भूत नय अतिशुद्ध होवाथी फक्त भावनिक्षेपने ज स्वीकारे छे अने तेथी वर्तमान पर्यायनी मुख्यताओ ज द्रव्यनु कथन करवानुं तेमज शब्दथी तद्वाच्य पर्यायथी विशिष्ट द्रव्यनो ज बोध करवायूँ कहे छे. आपणे व्यवहारमा पण जोइ शकीशु के 'ओक राजा हतो' ओम सांभळीओ अटले तरत घरेणां अने वस्त्राभूषणोथी लदायेली प्रतापी व्यक्ति चित्र आपणा मनमां ऊभुं थाय छे, 'निशाळ' शब्द सांभळता साथे ज जेमा विद्यार्थीओ भणी रह्या छे, शिक्षक भणावे छे एवं मकान नजर सामे तरवा लागे छे. आ वात सूचवे छे के पदथी थता पदार्थना बोधमां