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डिसेम्बर २०१०
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हेमचन्द्र को जन्म दिया । यह दैवी घटनाओं का चमत्कार प्रतीत होता है, किन्तु वास्तव में आचार्य हमेचन्द्र ने अपने दिव्य आचरण से, प्रभावकारी प्रचार एवं उपदेश से महात्मा गांधी के जन्म की पृष्ठभूमि ही मानों तैयार की थी । भारत के इतिहास में यदि सर्वथा मद्यविरोध तथा मद्यनिषेध हुआ है तो वह सिद्धराज एवं कुमारपाल के समय में ही । इसका श्रेय निःसन्देह पूर्णतया आचार्य हेमचन्द्र को ही है । उस समय गुजरात की शान्ति, तुष्टि, पुष्टि एवं समृद्धि के लिये आचार्य हेमचन्द्र ही प्रभावशाली कारण थे । इनके कारण ही कुमारपाल ने अपने आधीन अठारह बड़े देशों में चौदह वर्ष तक जीवहत्या का निवारण किया था । कर्णाटक, गुर्जर, लाट, सौराष्ट्र, कच्छ, सिन्धु, उच्च भंमेरी, मरुदेश, मालव, कोंकण, कीर, जांगलक, सपादलक्ष, मेवाड़, दिल्ली और जालन्धर देशों में कुमारपाल ने प्राणियों को अभयदान दिया और सातों व्यसनों का निषेध किया ।
आचार्य हेमचन्द्र ने अपने पाण्डित्य की प्रखर किरणों से साहित्य, संस्कृति और इतिहास के विभिन्न क्षेत्रों को आलोकित किया है । वे केवल पुरातन पद्धति के अनुयायी नहीं थे । जैन साहित्य के इतिहास में हेमचन्द्र युग के नाम से पृथक् समय अङ्कित किया गया है तथा उस युग का विशेष महत्त्व है । वे गुजराती साहित्य और संस्कृति के आद्य-प्रयोजक थे । इसलिये गुजरात के साहित्यिक विद्वान् उन्हें गुजरात का ज्योतिर्धर कहते हैं । उनका सम्पूर्ण जीवन तत्कालीन गुजरात के इतिहास के साथ गुंथा हुआ है । उन्होंने अपने ओजस्वी और सर्वाङ्गपरिपूर्ण व्यक्तित्व से गुजरात को संवारा है, सजाया है और युग-युग तक जीवित रहने की शक्ति भरी है ।
'हेम सारस्वत सत्र' उन्होंने सर्वजनहिताय प्रकट किया । कन्हैयालाल माणकलाल मुन्शी ने उन्हें गुजरात का चेतनदाता (Creator of Gujarat Consciousness) कहा है । डॉ. वि.भा.मुसलगांवकर : आचार्य हेमचन्द्र, पृ. १६९-१७३
कृतिकार हेमचन्द्र
१. आचार्य हेमचन्द्र : पृ. १७२-१७३