________________ ५३ऊडिय चडि वायस खज्यूरि, लवि महुरई सरि जोइवि दूरि आवंतउ कहि धमसुरि-नाहु, पहुचि जिम्व तसु वंदण जाहु / / 53 (13) अड्ढाइय - वरिसे हिं, जसु लोए समागमु / अहिय - मासु संपत्तु 5, मास हिय - मणोरमु // 54 तहिं वंदउं जससुरि सुहकारु, तवसिरि - कन्नवयंस पयारु / धमसुरि - बाहर - नावउं संतह, हरउ दुरिउ सुह करउ पढंतह / / 55 विन्नत्तिय निसुणे हि, सासण-दिवि सायरु / नंदउ धमसुरि लोए, जा चंद - दिवायरू / / 56 // बारह - नावउं समत्तं // 53. ऊविय 54. संपत्तो [77] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org