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डिसेम्बर २०११
पं. देवचन्द रचित नवतत्त्व-चोपाई
- साध्वी दीप्तिप्रज्ञाश्री
जैन दर्शनना सिद्धान्तमा प्रवेश करवारूप प्राथमिक प्रकरण ग्रन्थमां आवतुं 'नवतत्त्व प्रकरण', जेनी ६० गाथा प्राकृतमां प्रचलित छे, जेमां जगतनुं दर्शन 'जीव-अजीव-पुण्य-पाप-आश्रव-संवर-निर्जरा-बन्ध-मोक्ष' आ नवतत्त्वना माध्यमथी बताव्युं छे. 'नवतत्त्व प्रकरण' ग्रन्थना सन्दर्भमां गुर्जर भाषामां चोपाई, रास वगेरे अनेक रचना पूर्वपुरुषोए करेली छे. जेमांनी आ 'नवतत्त्व चोपाई'नी बे हस्तप्रतिनी झेरोक्स आ. विजय शीलचन्द्रसूरिजीए मने आपेल तेना परथी आ वाचना तैयार करेल छे. तेमांनी (१) नवतत्त्व चोपाईना कर्ता - वाचक भानुचन्द्रना शिष्य देवचन्द्र छे ।
आ कृतिनी छेल्ली त्रण गाथामां कर्ताए पोतानी गुरुपरम्परा बतावी छे. श्रीविजयदेवसूरि-शिष्य विजयसिंहसूरि, उपाध्याय सकलचन्द्र, पण्डित सूरचन्द्र, वाचक भानुचन्द्र तेमना शिष्य देवचन्द्र.
चोथा पाप तत्त्वनुं वर्णन बतावती ढाळमां अन्ते गाथामां वाचक भानुचन्द्र कया ? तेनो स्पष्ट उल्लेख को छे. "प्रतिबोधी अकबर सुलताण, मुंकाव्युं श्रीशेजूंज दाण; भानुचंद गुरु सीस सुजाण, देवचंद कहइ तत्त्व वखांण". जेमणे अकबर सुलतानने प्रतिबोध करी शेर्छजय पर- दांण मूकाव्युं हतुं ते भानुचन्द्र गुरुना शिष्य देवचन्द्रे आ रचना करी छे.
आ प्रतमां छेल्ली बे गाथामां भानुचंद वाचक० सुधी प्रतिना अक्षर एक सरखा छे, पछीनी लीटी 'जनचंद, तास सिस कहें देवचंद०.... अने छेल्ली गाथा जुदा अक्षरना मरोडथी लखायेली छे.
आ प्रतिनी वाचना लख्या पछी पू. मुनिश्री सुजसचन्द्रविजयजी म. पासेथी एज कर्तानी नवतत्त्व चोपाईनी बीजी बे प्रतिनी झेरोक्ष मळी, जेने कख संज्ञा आपी छे अने तेना जरूरी पाठभेद नोंधी आ साथे आप्या छे.