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अनुसन्धान-५९
माथुरी गणना अने वालभी गणना वच्चे
वीरनिर्वाण संवत्मा १३ वर्षना तफावतना वास्तविक कारण विशे
ऊहापोह (अनुसन्धान – ५८गत “निह्नव रोहगुप्त, श्रीगुप्ताचार्य...'
लेखना अनुसन्धानमां)
__ - मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय अनुसन्धान-५८गत 'निह्नव रोहगुप्त, श्रीगुप्ताचार्य अने त्रैराशिकमत' ओ लेखमां अक स्थाने पज्जोसणाकप्प(-श्रीकल्पसूत्र) गत अक सूत्रना अर्थ विशे चर्चा थई हती. आ सूत्र अने अनो अर्थ -
"समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणस्स नववाससयाई विइक्कंताई, दसमस्स य वाससयस्स अयं असीइमे संवच्छरे काले गच्छइ । वायणंतरे पुण अयं तेणउए संवच्छरे इइ दीसइ ॥"
अर्थ : (माथुरी गणना प्रमाणे - स्कान्दिल वाचनाना अनुयायीओना मते -) श्रमण भगवान महावीरने निर्वाण पाम्ये नव सैका वीती गया अने दसमा सैकानुं आ ८०मुं वर्ष चाली रह्यं छे. परन्तु अन्य वाचना प्रमाणे तो (वालभी गणना प्रमाणे - नागार्जुनीय वाचनाना अनुयायीओ मते -) आ (दसमा सैकानू) ९३मुं वर्ष छे अम देखाय छे. (आ वर्ष = देवर्द्धिगणिनी अध्यक्षतामां मळेली परिषयूँ वर्ष)
बे गणनाओ वच्चे आ १३ वर्षनो तफावत केम पड्यो हशे ते विशे पण त्यां चर्चा थई हती के श्रीभद्रगुप्तसूरिजी पछी श्रीश्रीगुप्ताचार्य अने श्रीवज्रस्वामिजी ओम बे दशपूर्वधर भगवन्तो अकसाथे वाचनाचार्य बन्या. आमांथी श्रीश्रीगुप्ताचार्य १५ वर्ष अने श्रीवज्रस्वामिजी ३६ वर्ष युगप्रधानपदे रह्या. हवे, वालभी गणनाकारोओ, श्रीश्रीगुप्ताचार्यना युगप्रधानत्वपर्यायनां १५ वर्ष, तेओना समकालीन