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अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ परम्परानी गुजराती कथाओ अने कण्ठपरम्परानी लोककथाना अभ्यासनी दृष्टिले महत्त्वनो अध्याय - ८ छे, तेथी, तेनी विगत क्या-केटलो-केवो प्रकाश पाडे छे ते उत्तरार्धमां जोइओ. विशेष सूझ ने दृष्टिपूर्ण, केटलीक दृष्टिले तो अभूतपूर्व अq 'प्रबन्ध-काव्य'नुं वर्गीकरण छे. अने आलेखना रूपमां आरम्भे जोइओ :
प्रबन्धात्मक काव्य
(१) प्रेक्ष्य
(२) श्राव्य
गेय
पाठ्य महाकाव्य आख्यायिका कथा
चम्पू
डोम्बिक नाटक वगेरे
१. उपाख्यान भाण
२. आख्यान वगेरे
३. निदर्शनकथाथी
बृहत्कथा सुधीना
कुल ११ प्रकार अहीं कथाविषयक समग्रदर्शी विभावना अने वर्गीकरणनी दृष्टिले लगभग छेवटनुं अने सर्वने स्वीकार्य बने अर्बु सूत्रबद्ध अर्बु कार्य हेमचन्द्राचार्य द्वारा सिद्ध थयुं छे. कथाना प्रकारोनी चर्चा अग्निपुराण, अमरकोश, अलङ्कारसङ्ग्रह, काव्यालङ्कार वगेरेमां मळे छे. भामह, विश्वनाथ, आनन्दवर्धन, दण्डी वगेरेओ पायानी चर्चा पण करी छे, परन्तु तेमां क्यांय हेमचन्द्राचार्यना वर्गीकरणमां छे तेवू, युरोपीय-ईरानी-भारतीय ओ त्रणे आर्यपरम्परानी प्राचीन-कथाओगें, अना प्रकार अने वस्तुगत भेद तथा रजूआत जेवां बधां ज मुख्य अङ्गो हस्तामलकवत् बनतां नथी. कथा अने आख्यायिकाना स्थूल भेदमां ज क्यांक चर्चा अटवाई जती होय अq पण लागे छे. अहीं 'प्रबन्धात्मक काव्य'ओ जातिसंज्ञा ज, कथाना गेय, अभिनेय अने नृत्य ओवा त्रणेने उचित वर्गमां स्थापे
अहीं अध्याय-८ना आरम्भे ज काव्यने 'प्रेक्ष्य' अने 'श्राव्य' ओम बे