________________ [4] आजीजी गिरीअम् हुं जाहर वींनती परमेश्वरनै जारी अरज षुदाही बे / अ० 1 तुम हजूर आव्यो छु सेवानै अर्थे प्रभु मोटा छो हाजर आमद बिंदगी मुशफक् शी रीतै दिवस जाइ कैसें रोज गुदस्तें बे / महैरबानी करीनै नेक निजरै कृपा करवी लुत्फ ब-कुन चस्म इनायत् चित माहरूं तुमसुं बांध्यु छइ दील मन् अज-तो बस्ते (बे)। अ० 2 माहरी इच्छा मननी बीजी वांछना नथी राषतो मा तलबीदम तलब न मुदम् चाकरी हजुर करीई तो नफो थाइ महनत् अलफ् कसीदे बे। . जोयुं संसारमा घणो तुझथी नफो होइ चुस्ते दुनियां बहर बफाए तुं वेगलो छे हाथ शी रीते पोहचै तुं दुर (दूर ?) दस्त रसीदे [ बे] / अ० 3 जुदा जुदा मैं देव दीठा गोंनागोंन आ बुदम् दि बैं चित्तमा न आव्या अम्मां षातर नामदें बे। तुं परमेश्वर आजथी इसक छे तु ही षुदावत आ तर इसकां बीजी (?) सुरति नावै बाजे (?) सुरति नामदै (बे)। 18 अ० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org