________________ [B] साहिब मुष, दिषवानि दिदार, नामने भरुसें आव्यो छु दिदम् षातर नाम बे नाम बे, तु षावन हे, बंदे के अंतरका इसक तीसका षावन् तू हे तुं हि बे सांइयां बंद अंतर इसकम् जब तेरी सरत आइ उनसे बचे बचें सरत आमदे [बे] आमदे [बे] अ० गो० 4 एक बालका मेरे जोषम नही हैं एक बालकी जलेल नाही तेरा दावन पकडया हें, तीस वास्ते दावन् (दामन् ?) साथ गु रक्ति बे रक्ती बे बंदा मोहन कहेता हे, हे परमेसर ! रायब मोहन गोयद् साहिब ! उसके तांइ नरकदूषे न होवे उसकु दोजष् रक्ती बे रक्ती बे, अ० गो० 5 वाराही / जेवितहेपंतषील / (लषीतं पं. हेतविजें) माला किहां छै रे - ए देशी / गोडी पार्श्व गरीबनो पालणहार फकीर गौरी पास गरीबनिवाज गदा यारा, दीर्छ मुख आकुनै (?) दिवसै दीकरा, वामाराणीना दिर्दै रूइ अम रोज फर्जन वामारा / टेक / पहेलां कोई आगलि मै जोउं परमेश्वर / पेश कसे मन् बुरवम् कादर पग ताहरा न छोड़े पाय तोरा न बुग्जारि बे / संसारमा मोटी जाइगा छोडीने प्रभुनै घडी घडी करूं छु दर गेति जो चुनम् हरदम करदै Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org