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________________ जून २०१२ और धार्मिक बनाने का प्रयास किया है । I विमलसूरिकी रामकथासे अन्य जैनाचार्यों का वैभिन्य एवं समरूपता : विमलसूरि के पउमचरियं के पश्चात् जैन रामकथा का एक रूप संघदास गणी (छठ्ठी शताब्दी) की वसुदेवहिण्डी में मिलता है । वसुदेवहिण्डी की रामकथा कुछ कथा - प्रसंगो के सन्दर्भ में पउमचरियं की रामकथा के भिन्न है और वाल्मीकि रामायण के निकट है । इसकी विशेषता यह है कि इसमें सीता को रावण और मन्दोदरी की पुत्री बताया गया है, जिसे एक पेटी में बन्द कर जनक के उद्यान में गड़वा दिया गया था, जहाँ से हल चलाते समय जनक को उसकी प्राप्ति हुई थी । इस प्रकार यहाँ सीता की कथा को तर्कसंगत बनाते हुए भी उसका साम्य भूमि से उत्पन्न होने की धारणा के साथ जोड़ा गया है । इस प्रकार हम देखते है कि संघदासगणी ने रामकथा को कुछ भिन्न रूप से प्रस्तुत किया है । जबकि अधिकांश श्वेताम्बर लेखको ने विमलसूरि का ही अनुसरण किया है । मात्र यही नहीं, यापनीय परम्परा में पद्मपुराण के रचियता रविसेन (७वीं शताब्दी) और अपभ्रंश पउमचरियं के रचयिता यापनीय स्वयम्भू (७वीं शती) ने भी विमलसूरि का ही पूरी तरह अनुकरण किया है । पद्मपुराण तो पउमचरियं का ही विकसित संस्कृत रूपान्तरण मात्र है । यद्यपि उन्होंने उसे अचेल परम्परा के अनुरूप ढालने का प्रयास किया है । ७७ आठवीं शताब्दी में हरिभद्र ने अपने धूर्ताख्यान में और नवीं शताब्दी में शीलाङ्काचार्य ने अपने ग्रन्थ 'चउपन्नमहापुरिसचरियं' में अति संक्षेप में रामकथा को प्रस्तुत किया है । भद्रेश्वर ( ११वीं शताब्दी) की कहावली में भी रामकथा का संक्षिप्त विवरण उपलब्ध हैं। तीनों ही ग्रन्थकार कथा विवेचन में विमलसूरि की परम्परा का पालन करते हैं । इन तीनों के द्वारा प्रस्तुत रामकथा विमलसूरि से किस अर्थ में भिन्न है यह बता पाना इनके संक्षिप्त रूप के कारण कठिन है । यद्यपि भद्रेश्वरसूरि ने सीता के द्वारा सपत्नियों के आग्रह पर रावण के पैर का चित्र बनाने के उल्लेख किया । ये तीनों ही रचनाएँ प्राकृत भाषा में है । १२वीं शताब्दी में हेमचन्द्र ने अपने ग्रन्थ योगशास्त्र की स्वोपज्ञवृत्ति में तथा त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र में संस्कृत भाषा
SR No.229626
Book TitlePaum Chariyam Ek Sarvekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages24
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size122 KB
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