________________
ऑगस्ट २०११
१२१
संथारो हवे निश्चित हशे अम जणावी कवि हवे बारमा मास (अषाढ)ने वर्णवे छे.
अषाढ मासे अनशन लई, खमतखामणां करी, देह वोसराववानुं मुरीबाईओ पगलुं भर्यु. रघुभाई तथा मेघबाई शेठाणीओ सती-साध्वीओने ऊलटभेर दान आप्यां. खेतशीभाईनी पुत्री झमकुबाई तेमनी सेवामां रही. १३ दिवसनो संथारो करी सं. १८९०ना अषाढ सुद १४ना शुक्रवारना रोज स्वर्गवास-काळधर्म पाम्या. मुरीबाईनी जीवनकथा अहीं पूरी थाय छे.
तेरमा अधिक मासमां कवि पोतानी अने पोताना समयनी विगतो आपे छे. कविना घरनी पासे स्थानक (उपाश्रय) छे. जीवणभाई शेठ अने झमकुबाई शेठाणी) करावेल छे. आ स्थानक जोईने कवि- दिल ठरे छे. साधुजननी सेवा, हृदयमां भक्ति लावीने करवानी ते प्रेरणा आपे छे. मानवनो भाव दुष्कर छे. पुण्यकर्मने कारणे उत्तम ओवो जिनधर्म प्राप्त थयो छे तेनी कवि सराहना करने छे.
आ रचनासमये न्यायप्रिय राजा वखतसिंह राणा राज्य करता हता. अंते तेओ प्रस्तुत रचनानी साल अने कविनाम आपे छे ते मुजब आ रचना सं. १८९२ना मागशर सुद १३ने गुरुवारना रोज करवामां आवी छे. अर्थात् मुरीबाई महासतीना काळधर्म पाम्या बाद बे वर्षमां ज आ रचना थई छे. कविओ पोताने हरखाना दीकरा शिवराज (जे सायलामां रहे छे) तरीके ओळखाव्यो
___ आम, आ तेरमासा ओ परम्परित बारमासी प्रकार करतां थोडं अलग प्रकार- होवाथी, तेमां तत्कालीन समयना राजानी, कविनी माहिती होवाथी, औतिहासिक मूल्यवत्ता धरावे छे. अहीं परम्परित प्रकृतिवर्णननी ओथ लेवाई नथी, के विरहनो ऊंडो, उत्कृष्ट सूर नथी, छतां श्रीमूरीबाई महासतीना तपोमय जीवननी झरमर कशाय ओप विना ओवी सुन्दर रीते आलेखी छे के श्रीमुरीबाईनी मोक्ष मार्गनी लेह उत्कृष्टपणे दर्शावी शक्या छे. ओ रीते आ कृति अनोखी छे.