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मार्च २०१०
लईने सामी व्यक्तिने खाडामां उतारनारनो हेतु कां तो केवळ टीखळ करवानो, मश्करीमजाक करवानो होय छे अथवा तो कोइने चालाकीथी धूती लई अंगत स्वार्थ सिद्ध करवानो होय छे - कण्ठप्रवाहनी प्रो. डॉ. शान्तिभाई आचार्ये आपेली 'टणक’'नी कथा तथा प्राकृतमां मळती वचनसार अने चिपिटनास कथामां से जोवा मळे छे.
उक्त कथाओना सन्दर्भ अने सार आ प्रमाणे छे :
पालि भाषाना 'जातककथा' ना त्रीजा खण्डना संकल्प वर्गमां २५७मी 'गामणीचण्ड' नी कथा छे. भगवान बुद्धना वाराणसीना राजा आदासमुख तरीकेना पूर्वभव साथे आ कथा सांकळवामां आवी छे. राजना कारभारथी निवृत्त थयेला गामणीचण्ड भेटले के मुखीओ पोताना गाममां जाते खेतीकाम संभाळ्युं. मित्र पासेथी से बळद लइ आव्यो. काम पूरुं थतां उधार मागेला बळदने सोंपवा गयो, त्यारे मित्र जमतो होवाथी बळदने खीले बांधी जतो रह्यो राते बळदनी चोरी थतां मित्र गामणीचण्डना गळे पड्यो : 'मारो बळद मने पाछो आप. तुं मने सोंपी गयो नथी.' गामणीचण्डे गेरवाजबी मागणी न स्वीकारी थी मित्रे ते समयना रिवाज प्रमाणे गामणीचण्डना हाथमां ठीकरं पकडाव्युं अने न्याय माटे राजद्वारे लई गयो.
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वाराणसी जतां मार्गमां ते ओक गाममां आव्यो अने त्यां रहेता मित्रने मळवा गयो. मित्रनी पत्नीओ जमीने जवानो आग्रह कर्यो अने अनाज काढवा कोठीओ चडतां नीचे पडी ने गर्भपात थयो. घरे आवेला मित्रे आनी जाण थतां गर्भपातनी नुकशानी मागी अने ते पण फरियादी तरीके जोडायो. वच्चे पाणीनो धोध आवतां बे खोटी फरियादथी त्रासेलो गामणीचंड आपघात करवा पहाडी रस्ता परथी धोधमां पड्यो परंतु धोधना बदले कांठे कपडां धोता वृद्ध वणकर पर पड्यो अने वणकर मरी जतां अनो पुत्र पण त्रीजा फरियादी तरीके जोडायो.
रस्तामां पोताना भागता घोडानी पाछळ दोडी अने पकडवा मथतो सवार मळ्यो. ओणे भागता घोडाने धोको मारी अटकाववा कयुं. ओम करवा जतां घोडो लंगडो थयो ने चोथा फरियादी तरीके घोडावाळो जोडायो.
वाराणसी जतां रस्तामां पाण्डुरोगी शेठ, जेनी धीखती कमाणी बंध