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पणि एक वात माहरी साचीअ-इ जि सांभलु । जइ कि-वारं सत्यवती-नुं पाणि-ग्रहण राजा करइ, तु सत्यवती माहरइ साचीअ-इ जि माता । गंगापांहई अधिक रात्रि-दिवस सेवा करिसु । वली सांभलु । जे सत्यवती-ना पुत्र हुसिइं ते माहरइ लुहडा-इ थिका राजा स्यांतन-पांहइं अधिक न गिर्खा,तु मझ-रहइँ तात-हत्या । वली सांभलु । राजा स्यांतन-पूठिई मझ-रई राज्यभार अंगीकरिवा नीम । सत्यवती-ना पुत्र रहई मई माहरइं हाथि-सिउं नीमि सहि राज देवू । वली रात्रि-दिवस जिम राय-नी सेवा करुं छं तिम सत्यवती-ना पुत्र-नी सेवा करिसु ।
वली सांभलु । जां कांई हुं जीविसु, तां मझ जीवता सत्यवती-ना पुत्र-- रहई को पराभवी नही सकइ, जइ बार चक्रवति नां दल आवई तुह-इ । तम्हे सत्यवती माहरा बाप-नई दिउ । एतली मझ-रहई समाधि करु ।
जि-वारं इसी प्रतिज्ञा गांगेउ करइ छइ, ति-वारं गिगनांगणि वैमानिक देवता रहिया जोअइं छइं । वली नावडु कहइ छइ । अहो गांगेउ-कुमर, सांभलि । जे वात तई कीधी, ते सघलीअ-इ साची । कि-वार अजी द्र चलइ, पणि ताहरी वाचा न चलइ । पणि एक अजी अम्हारा मनि वात छइ । ति-वारं गांगेउ कहइ छइ । जि-कांई मनि हुइ ते हिवडां कहे । नावडु कहइ, सांभलि ।
चउपई
एक वात सांभलि सतवंत जे कि-वि हुसिई तम्हरा पुत्त । तम्ह जीवतां म्रिज्यादं रहई तम्ह पूठिई ते किम सांसहई ? ॥ वलि गांगेउ कहइ सणि वचन आज-आघी माहरइ स्त्री बहिन । वली कहुं सुणि बीजी वात आज-पछी स्त्री सवि मझ मात ॥ धन गांगेउ-कुमर संसारि इसिउ न बीजु को ब्रह्मचारि । चउधुं व्रत कुमरि आदरी रन-वृष्टि इंद्रिहिं सिरि करी ॥ कनक-वृष्टि सुर करई ति खेवि कुसम-वृष्टि एकि करई देव । रंभा पउमा गवरि विसाल सई हथि कंठि ठवइ जइ-माल । सावित्री सोवनमइ थाल भरि मोती माणिक सुविसाल । रोहिणि शुची जि सुर-मानिनी वृद्धापनी करई कामिनी ॥ १०५
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