________________ डिसेम्बर 2010 101 अहीं तो मात्र आ बाबत तरफ ध्यान दोरवा पुरतां आटलां दृष्टान्तो आप्यां छे. छेवटे, तेमणे रचेला मुख्य मुख्य ग्रन्थोना नामाभिधान साथेनो तेमने अंजलिरूप श्लोक छे (धूमकेतु, 1982, पृ. 166) तेनी 'बद्धं येन न केन केन विधिना मोहः कृतो दूरतः' आ छेल्ली पंक्ति नोंधीने, आ महामानवने अंजलिरूप आ लेख पूरो करुं छु. C/o. 1, B, कामधेनु एपार्टमेन्ट, ___ सुदामा शेरी, जामनगर-८