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________________ अनुसन्धान-५० अथ शौरसेनी अय्यावत्तं समग्गं खु चरित्तसिरिसोहिद ! / सुसत्तीए अपुव्वाए तायध नाध ! अम्महे // 1 // जयस्सोत्तंस ! कित्तीए गुरुभावं गदो मदो / कदकज्जो इधं नाध ! भोदु भदंकरो भवं // 2 // संस्कृतच्छाया : आर्यावर्तं समग्रं खलु चारित्रश्रीशोभित ! सुशक्त्या अपूर्वया त्रायस्व नाथ ! (हर्षेण) // 1 // जगत उत्तंस ! कीर्त्या गुरुभावं गतो मतः / कृतकार्य इह नाथ ! भवतु भद्रङ्करो भवान् // 2 // अथ मागधी पलमपदमो कस्स देशयं शाहुशोभणं / शुभोवदेशदादालं पञपचं सुपञलं // 1 // अपस्खलिदविज्ञाणं आलाथिदशलश्शदि / नेमिं सुपधवजंदं शावय्यलहिदं मुणिं // 2 // विवय्यिदकशायं णं भवकस्टविघस्टनं / थुणामि शूलिं शाहुं हं तवगश्चदिवप्फदिं // 3 // संस्कृतच्छाया : परमपदमोक्षस्य देशकं साधुशोभनम् / शुभोपदेशदातारं प्राज्ञप्रशं सुप्राञ्जलम् // 1 // अप्रस्खलितविज्ञानं आराधितसरस्वतीम् / नेमिं सुपथव्रजन्तं सावद्यरहितं मुनिम् // 2 // विवर्जितकषायं तं भवकष्टविघट्टनम् / स्तवीमि सूरिं साधुमहं तपगच्छदिवस्पतिम् // 3 //
SR No.229575
Book TitleTribhashamai Nemisurishwar Stuti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyankirtivijay
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages2
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size56 KB
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