________________ राग-धन्यासी आज लेख लख्यो आज लेख लख्यो त्रंबावती नयरीथि पून्यहर्षि सकलसंघ मन हरख्यो आज लेख लख्यो आज लेख लख्यो॥१६०।। नीज नीज मंद्यरथी चली आइ बहुत जनि सो नरख्यो श्रीविजयसेनसूरी गछपतीइं मोहन नयन करी परख्यो आज० // 161 / / लिखत लेख दुत चलयो देई अतीव बहु सीख्यो / सुभसुकन होव तीपंथ चालत देती सुहव आसीध्यो आज० // 162 / / अनुक्रमि जाई दियो जगगुरुकु कउत करीसो देख्यो कुरणा रस मन कीयो आवन कु बाची सो सवी सीख्यो || आज० // 163 // (कळस) इय लखीतलेखो बहुवसेखो सजनजनमनरंजनो सुंदरवर्णो ललीतवर्णो दुर्जनजनमनगंजनो विविध अर्थो अती समर्थो मोकल्यो गुरु हीरनि आनंद दाता जगविख्याता मंगलकर्ण श्रीसंघनि // 164 // इतिश्री लेखशृंगार समाप्तः / गणि प्रवरगणि शिरोमणि गणि गजेन्द्र गणि श्रीरीडा शिशुरत्नहर्षगणिनालेखि . श्रीस्तम्भतीर्थे // श्रीरस्तु // कल्याणमस्तु / परोपकाराय // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org