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________________ 66 राग-धन्यासी सुगुण सलूणा हीरजीरे जामज्यो तपगच्छराय नेहागारा माणसाजीहो घडी वरसा सो थाय रे पूज्यजी पधारीय ॥१४८॥ लागो लागो तुमस्युं हम रागो रे कि जुओ जुओ तुमेतो नीरागो रे कि कहो कहो एह व्रतातो रे कुण आगल कहा ॥ १४९ ॥ रयणी विहाय झबकता दीवस दोहेलो रे जाय । नेहांगारु माणसा जीहो घडी वारसा सो थाय रे पूज्य० ॥ १५०॥ भूखतरस सव वीसरी रे लागो एक तुमसु तान । मन ते महारु तुम कनि जी हो काया ईहा छि सुजाण रे पूज्य० ॥ १५१ ॥ मन ते माहारि तु वस्यो रे जगगुरु अवर न कोय आकधतुरा ठाम ठाम पण भमरा मचकंदि जोय रे पूज्य० ॥ १५२ ॥ एकपखो सनेहडो रे का सरज्यो करतार एकनि मन ते दोहिलु रे जीहो एक मन नहीय लगार रे पूज्य०।। १५३॥ नेहागार माणसा रे झूरी झूरी पंजर होइ नस्नेहा भलाते बापडा जीहो पोसीजे आपणी काय रे पूज्य० ॥ १५४॥ केहा देउं उलंभडारे नीटर विधाता रे तोह का सरज्योति माणसारे लईए वडो अतिघणो मोह रे पूज्य० ॥ १५५॥ सरजनहार सरजीयो रे का माणसो देह सरज्यो तो भली सरजीयो लाईका सरज्यो वली नेह रे पूज्य० ॥ १५६ ॥ संदेसि ओलगडी रे होसि हम दयाल अम्रत सम तुम्ह वय (ण) डा रे श्रवणि सुणीय रसाल रे पूज्य० ॥ १५७॥ तुम्ह मुख चंद्र नीहालवा रे वाछि नयण चकोर थोडि लख्य घणु जाणज्यो जीहो तुमे छो चतुर चकोर रे पूज्य ० ॥ १५८ ॥ अकबर भूप प्रतिबोधीयो रे प्रतिबोधी रे मेवात जगगुरु वाहाला हीरजीरे हवइ आवोनि गुजरात रे पूज्य० ॥ १५९ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229563
Book TitlePunyaharsh Rachit Lekh Shrungar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahabodhivijay
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages18
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size387 KB
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