________________
September-2003
65
दूहा ॥ अवसरि एणइ अतिबली, अकबर साही सुलतान । श्रीगुरु रंगि बोलाविया, ते सुणो भविक सुजाण ॥११॥
ढाल ॥ अतिहठी अकबरसाह कह्यवइ, दुजु दुनीमई उपम को नावई । कोओ नाहीं अकबर बलि पूजइ, नाम सुणता वयरी तन धूजइ । दुरि कीया वयरी मद मोड, विषम लीओ तेणई कोट चित्रोड । कुंभलमेर अजमेर समाणु, जोधपुर जेसलमेर ए जाणु ॥१२।। जुनु गढ लीउ सूरत कोट, भूरुअछकोट लीउ एकदोट । मांडुंगढ लीउ बल मांडी, हाडा गया रणथंभर छांडी ॥१३॥ लीयो सीयालकोट रोहीतास, अनेक विषमगढ पार न जास । सो लीया अकबरि एक नीसाण, हवे सुणो देसना नाम सुजाण ।।१४।।
ढाल ॥ गउड बंगाल तिलंग वंग अंग घोडा घाट दुलखु ओडीसु खंधारदेस जाकी विसमी वाट । कांमरु कमनाबल देस परबत सवालाख मगध कासी कासमीर देस तिहां झाझी दाख सिंध कच्छ जे नगरथट्ठउ काबिल खुरासाण दिल्लीमंडल मेवात देस मघलइ साही आण । मरहठ मेवाड मारुआडि मालव गूजराति सोरठ कुंकण दखिण देस सहू अकबर हाथि निजबलि अकबरि देस लीआ ताकु लहुं पार कउतिग कारणि देस नाम कहीआं दोए-च्यार । रथ सुखासण पालखी परतखि चक्रवरति पुन्य विवेकी मु(सु) सारबुधि अडीग्ग आछी मति
॥१६॥
॥१७॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org