________________ April-2003 59 दारुछेदक शशा चीतर इति सज्झाई संपूर्ण विभाग-३ अघरा शब्दोना अर्थ लाकडां कापनार ससलुं दीपडो बोध पमाडवो कूवा कांठे निमिष अथवा पलकारो दबाई गया भाएं बुझवई कूप-कंठइ मषि चंपिआ संबल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org