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अनुसंधान-२७
आदिनाथ वीनती पूजा
सुणी सेत्रुजा सिहरि श्रृंगार हार, घणा दिवसर्नु अलं(ल)जउ हुँ अपार. व्यु(यु)गादीस हुं वंदिसु सीस नामी, करुं वीनती आपणुं साम पामी. १ धन ललत सरोवर तणी पालि, करइ कलिवर (कलरव) कोईला अंब डालि धन सरल सोहामणी साद चंग, सुणि श्रवणि जे उपजइ मनह रंग, २ चडिउ पावडी जेतलइ भवण केरी, तव प्रभु तणी भेटि लाधी भलेरी, दोइ लेप आरा(र)स मूरति निहाली, इस्युं तीरथ नथी सेठेज टाली. ३ हीई हरखनी वेलडी आज ऊगी, मुझ मांडली आज आसीस पूगी. धन नयणले जे युगादीस दीसइ, धन वयणलां जे प्रभु वीनवीसइ. ४ भलइ पामीउ माणसु मे जम्म सारु, भलई लेटिओ श्रावक-ओज मारु. भलइ जइ आविउ सेत्रुज सिहरि राज, भलइ भेटिओ आपणुं सामी आज.५ हिव हेल दे बाल जिम नमिसु आज, मन रुलीअ हुं मागिसुं मुगति राज, गुण गाईसिउं प्रभु तणा मधुर सादि किवारीइ वली वंदिसु श्री युगादि. ६ जाउं आंखि ऊआरणइ रिसहनाह, तोरी भमुहडी भामणह गुणसंणाह. तोरी बाहुडी हुं ले लाहर जीऊं(?) गुण ताहारा अंगना रंगि गाऊं. ७ इणि रवि तलि रूअडउं सहू अछइ, पिणि प्रभु तणा निरपम रूप पछइ धन ते जण जात्रइ तुम्हारी जाई चडइ चैत्र वदि जनम आठमि जाणी. ८ धन चेत्र पूनिम नमुं सीस नीमी, जिहां पंचकोडि पुंडरीक सिद्धिगामी. ने(न)मि-विनमि दोइ कोडिसुं सिद्धिगामी, सदा सेविवउ सेत्रुज सिंहरी सामी.९ इहां अहूठ क्रोडि जादवकुमर सीधी सही, सेत्रुज सिहरि पुहवी प्रसिद्ध. दस कोडिसिउ द्रविडनइ वाइ(रि)खिल्ल इहां उपन्चं नाण एकलमल्ल. १० इहां पांच पांडव वली वीस कोडि, गया सिद्धिं वंदउ करकमल जोर्डि इहां सिद्धि संख्या लहुं नहि अपार, करुं तेहनइ सविहुनु जुहार. ११
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