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अनुसंधान - २८
इस्या दिन प्रति घर घर तणा, उलंभा दिइ आवी घणा मावीत्र वार्य न करइ किमइ, बाहरि जइनइ तिम जि रमइ ॥ ६०॥
दुहा
सुभद्र सेठि विमासीउं, ए अति जूठउ कंस
माहरि घरि छाजइ नही,
सही राजानुं अंश ॥ ६१ ॥
राजसभा राजा तणी, सुभद्र सेठि ग्यु हेवि भूपतिनइ इम वीनवइ, पासइ छइ वसुदेव ॥६२॥
यमुना वहतुं आवीउ, पेई माहि पहूत लेख लिखइ मइ जाणीउं, उग्रसेन रायपूत ॥६३॥
वृद्धिवंत मझ घरि हूउ, कंस कहीइजइ नामि राजपुत्रनइ रायनी, सेवा युगति स्वामि ||६४॥
एह वयण राजा सुणी, तिहां तेडावइ कंस तेजवंत देखी करी, जाणीठं विद्यावंस ॥ ६५ ॥
वसुदेवि ते राखिउ प्रीतइ आपण पासि स्नेह बिनइ अधिकु धरई, रमइ कला अभ्यासि ॥ ६६ ॥
वस्तु नदीय यमुना नदीय यमुना तणइ परवाहि पेई दीठी आवती सुभद्र सेठि निअ गेहि आणीअ, बालक देखी सोहामणउ
कंस नाम दीधरं स जाणीय, अतिबलवंत ते हूउं जणाविउ राय पासि, वसुदेव ते राखीउ, प्रीत आपण पासे ॥६७॥
चउपइ
मगध देस माहि जाणीइ, राजगृह नयर वखाणीइ
तिहां बृहदरथ राजा तणउ, पुत्र अछइ अति सोहामणउ ||६८ ||
जरासिंध नामि, सुविशाल, त्रिहुं खंड केरु भूपाल यादव जेहनी मानइ आण, चित्तिहि अति आणइ अभिमान ॥ ६९ ॥
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