________________ 64 अनुसन्धान-५६ महातीरथ सोपारा जामलि, अवर तीरथ नत्थी महिमण्डलि, कलियुग ए जगदीस, राजरिद्धि-सुररिद्धि न मागउं, एक चित्ति तुह नामिइं जागउं, लागउं तुह पय सीस मई वीनविउ जीवितसामी, उपक्रम१७ घणे चलह तुह पामी, सामी जगदाधारो, त्रिणि काल जे समरइं भाविई, घरि बइठां हुइ जात्र स्वभाविइं, आवई सुखभण्डारो // इति श्रीसोपारा विज्ञप्तिका // शुभं भवतु // श्रीः // श्रीः //