________________
डिसेम्बर २००८
विद्वज्जनो भोगीलाल सांडेसरा, हरिवल्लभ भायाणी, के.का.शास्त्रीजी, जयन्त कोठारी, शिवलाल जेसलपुरा, रमणलाल ची. शाह अने भूपेन्द्र त्रिवेदीनां निधनथी जाणे के आ क्षेत्रे शून्यावकाश सर्जायो होय अवी लागणी अनुभवाय छे. खालीपो अवश्य वरताय, पण अनो झुरापो तो न ज होय. केमके आ अवकाशपूर्तिनो पडकार छेवटे तो आपणे झीलवानो छे.
ताजेतरमां नेशनल मिशन फोर मेन्युस्क्रिप्ट्स, न्यू दिल्हीओ भारत अने भारत बहारनी हस्तप्रतोतुं सर्वेक्षण हाथ धर्यु छे. ते अनुसार भारतमा ४० लाख अने ओ पैकी गुजरातमा १० लाख हस्तप्रतो होवानो अंदाज छे. अमां जोके संस्कृत-प्राकृतथी मांडी बधी प्रादेशिक भाषाओनी, अनेकविध विषयो धरावती हस्तप्रतोने आवरी लेवाई छे. अमां मध्यकालीन गुजरातीनी प्रतिओ पण समाविष्ट होय ज. पण आपणने निसबत छे ते अनुसार, हस्तप्रतोना केवळ सर्वेक्षण के केवळ यादीओ आगळ आपणुं काम अटकतुं नथी. आपणुं अन्तिम लक्ष्य तो होय सर्वेक्षण अने यादीओनी चावी द्वारा हस्तप्रतोमां जळवायेलो विपुल साहित्यराशि प्रगट थाय ते. सेंकडो नहीं, हजारोनी संख्यामां मध्यकालीन कृतिओनी हस्तप्रतो हजी विविध भण्डारोना दाबडाओ अने पोटलांओमां बद्ध थयेली छे. ओ सौने आपणी प्रतीक्षा छे; आपणा थकी प्रागट्यना अंजवासनी अमने झंखना छे.
पण हस्तप्रत-सम्पादन ओ केवळ ओक कागळ परथी बीजा कागळ परतुं लिप्यन्तर मात्र नथी. आ प्रक्रिया पूरी सज्जता अने क्षमता मागी ले छे. वाचना माटे हस्तप्रत-पसंदगी, लिपिवाचन, तत्कालीन भाषास्वरूपनी जाणकारी, पाठनिर्धारण, अन्य प्रतोने आधारे पाठपसंदगी- आ प्रक्रियामां सम्पादननी ओक चोक्कस शिस्तने अनुसरवानुं होय छे. हस्तप्रतना लेखनकार (लहिया) द्वारा ज थयेली पाठभ्रष्टता अमां मोटो अन्तराय होय छे जेनी शुद्धि माटे क्यारेक ओ ज कृतिनी अन्य प्रतोनो आधार सहायक नीवडे छे. केमके संशोधके छेवटे तो कृतिना मूळ सर्जकनी निकट पहोंचवानुं छे. उदाहरण तरीके 'गुणरत्नाकरछन्द 'मां 'भमुह-कमांणि' (आंखनी भ्रमररूपी कमान) ने बदले केटलीक प्रतो 'भमुह-कामिनी' पाठ ज आपती हती, जे अशुद्ध छे अने अर्थभेद ऊभो करे छे. भायाणी साहेबे कडुं छे के “सवाल हस्तप्रत छापीने सुलभ करवानो
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org