________________
August-2004
उपासनाने कारणे विविध धर्मसंप्रदायो अस्तित्वमां आव्या. आ उपरांत भारतमां ज वसवाट करनारी मूळभुत केटलीक जातिओना धर्मो पण वैदिक धर्ममां काळक्रमे जोडाया अने एमांथी पण केटलाक संप्रदायो अस्तित्वमां आव्या. देव - देवी प्रमाणे वैष्णव, शैव अने शाक्त : अर्थात् विष्णुपूजक, शिवपूजक अने देवीपूजक एम त्रण मुख्य संप्रदाय छे. चोथो वर्ग निर्गुण उपासकोनो छे अने तेमां पण कोइ अवतारी के पयगंबरी मनाता मुख्य धर्मपुरुष प्रमाणे जुदा जुदा पंथ छे. वैष्णवमांथी ज व्यक्तिस्थापित संप्रदायना रूपमा पुष्टिसंप्रदाय अने स्वामिनारायण संप्रदाय अस्तित्वमां आव्या. शैवमां पाशुपत, लकुलीश वगैरे अनेक संप्रदाय छे. तांत्रिक, मांत्रिक, कापालिक, वामपंथी, अघोरी वगेरे उपासना पद्धतिना पंथो पण काळक्रमे शैव साथै संकळाया. पार्वती साथै ज भारतनी विविध जातिओनी देवीभक्ति शैवमां समावेश पामी. शिवजीना परिवारना गणेश साथे गाणपत्य संकळाया. पशुपूजा, प्रेतपूजा, सूर्यपूजा, नंदिपूजा वगेरेना पेटा अनेक धर्मो पण शैव साथै संकळाया. निर्गुणधारामां पण विविध व्यक्तिस्थापित अनेक पंथो-संप्रदायो छे.
81
आ बधानो समावेश वैदिक धर्मना विविध संप्रदायना रूपमा थाय छे. आम आ महावटवृक्ष छे, जेने अनेक शाखा अने शाखामूळ साथे अनेक जुदा थड पण छे. परंतु ए सहु पोतपोतानी मूळभूत आस्था साथे वेदने स्वीकारे छे. स्वाभाविक छे के आ महावटवृक्षनुं कथासाहित्य प्राचीनतम, विपुल, विशाळ अने वैविध्यसभर होय, एमां संस्कृत - प्राकृत उपरांत बधी ज भारतीय भाषाओमां रचायेलुं कथासाहित्य छे.
आ परंपरा पण पांचेक हजार वर्षनी प्राचीनता धरावती होवानुं पश्चिमना विद्वानो स्वीकारे छे, भारतीय मत प्रमाणे ए आथी पण प्राचीनतम छे. आ धर्ममां १. वेद २. वेदोत्तर साहित्य ३. वीरगाथा ४. पुराण ५. प्रशिष्ट महाकाव्य काळ एवा समयना चार-पांच तबक्काना युगो छे.
वेदमां ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद अने सामवेद ए चार छे. ऋग्वेद प्राचीनतम छे. एना दश मंडळमां यम-यमी अने पुरुरवा - उर्वशी जेवी प्रख्यात कथाओ छे. वेदना मंत्रो अने सूक्तोमां अनेक कथाओ अने पात्रोनो निर्देश थयो छे. एनी सवीगत कथाओ वेदोत्तर साहित्यमां मळे छे. उपनिषद,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org