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अनुसंधान-२९
आवी :
१. पुराकथारूप Mythological २. दंतकथात्मक Legendary Tale ३. मनोरंजक लोककथात्मक
रामकथा, कृष्णकथा अने पांडवकथा : आ त्रण भारतीय समान धारानी त्रण मुख्य पुराकथाओ छे. एनो उद्भव-विकास सर्वसामान्य एवी लोकधारामां थयो. एमाथी आ कथाओ वैदिक, बौद्ध अने जैन ए त्रण भारतीय मूळना आर्यधर्मोमां प्रयोजाइ अने दरेक धर्ममां ते केटलाक भेद साथे, पोतानी रीते विकसी. भारतीय वैदिक धर्मना केटलाक संप्रदायमां अवतार-वाद मुख्य बन्यो अने राम तथा कृष्ण भगवान विष्णुना अवतारो मनाया अने पूजाया. बौद्ध अने जैन धर्मो अवतार-वाद स्वीकारता नथी एथी एमां केटलांक रूपान्तर थयां अने पुराणकथा के पुराकथा Myth ने बदले दंतकथा Legend जेवू रूप बंधायु. परंतु आ कथा अने पात्रोने सीधो संबंध जैनधर्म साथे पण रह्यो एथी एनां स्थान-महत्त्व पौराणिककथा तरीके जळवाया. जैन स्रोतनी रामकथा पद्मचरित । पद्मपुराणमां छे. कृष्णकथा प्राकृत 'वसुदेव-हिंडी'मां छे. आ प्रवाह ज पछी आगळ चाले छे अने तेना पर चरित, रासा वगेरे रूपमां अनेक रचनाओ थई छे.
बीजो प्रवाह दंतकथानो छे. एमां उदयन-वासवदत्ता, श्रेणीक, अभयकुमार, विक्रमादित्य वगेरेनो समावेश थाय छे.
बीजो प्रवाह मनोरंजक लोककथाओनो छे. दंतकथानो वीरविक्रम एटलो लोकप्रिय बन्यो के अने आधारे विक्रम अने शनिश्चर, विक्रम अने वेताळ, एवी अनेक कथाओ जन्मी. पंचदंड, सिंहसनबत्रीसी जेवी कृतिओ रचाइ. इसुनी चोथी-छठी सदीथी उदयन-वासवदत्तानी कथाओ भारतमां लोकप्रिय बनी चूकी हती. अने दशमी-बारमी सदीथी ते छेक अढारमी सदी सुधीमां विक्रमकथा भारतभरमां लोकप्रिय रही. एना पर अनेक कृतिओ रचाइ. नंदबत्रीसी, सूडो बहोंतेरी पण एवी ज लोकप्रिय कथाओ हती. प्राचीन अने मध्यकालीन समयनी आ बधी ज कथाओ जैनकथासाहित्यमा स्थान
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