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अनुसन्धान - ५४ श्री हेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग - २
न हतां. पोतानी बडाई माटे मजहबी मानसे अहीं आचार्यने, हझरत जेवा ज चीतरी दीधा छे, जे इतिहासनी तथा जैन परम्परानी दृष्टिए तद्दन जूठ छे. ३. आचार्य जमीनमां दटायानी वात आमां पण छे. मजहब के धर्मना प्रचार सा ज्यारे कट्टर कोमवाद भळे छे, त्यारे माणसने तथ्य - अतथ्यनो विवेक नथी रहेत अने प्रमाणभान चूकीने गमे तेवो प्रलाप करी बेसे छे. ४. ऊपर जणाव्युं तेम आचार्य योगी हता; तेमने नरसंगा वीरनी साधना करवानी कोई जरूरत न हती. तेमणे तेवी साधना कर्यानुं कोई सूचन के प्रमाण पण इतिहासमांथी क्यांय मळतुं नथी. हा, आ लखाण परथी एवं जरूर कल्पी शकाय के हझरते ते नरसंगा वीरने साधीने बांध्यो होय, अने तेना माध्यमथी चमत्कारिक परचा पूरता होय.
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५. अने छेल्ले एक महत्त्वनी वात : हझरत मखदूमशाह हिजरी सन ६३४ मां जन्म्या हता, अने हि. ७३६ मां मरण पाम्या हता, तेवी हकीकत आ पुस्तकना पहेला पाने नोंधाई छे. जो के 'शमीम' शेख 'पाटणना मुस्लिम शासन समयना सन्तो, स्मारको अने संस्कृति' नामे लेखमां हि. सन् ६३९ एटले ई.स. १२४१ मां मखदूम शाहनो जन्म थयानुं नोंधे छे. (Glorious History and Culture of Anhilwad Patan - ग्रन्थ, पाटण, ई. २००९, पृ. ६४५). आ प्रमाणे ई.स. १२४१ एटले वि.सं. १२९७ थाय. हेमचन्द्राचार्यना स्वर्गगमननुं वर्ष वि.सं. १२२९ छे. हसरत मखदूम शाहनो जन्म ज १२९७ मां थयो छे. तो ते बन्ने पाटणमां एकसाथे होय अने मळे ए वात ज केटली मिथ्या ठरे छे ! तो जे लोको कदापि मळ्या ज न होय तेमने विषे पण आवी कथाओ उपजावी काढवी, तेने धर्मझनूनी मानस न कहेवाय तो शुं कही शकाय ?
मूळ वात 'हेमखाड'नी छे, जे आजे मुस्लिमोना ताबामां छे, अने तेने एक पवित्र साधनाभूमिलेखे पाछी हस्तगत करीने तेने विकसाववानी अपील तथा आग्रह मकरन्द दवे जेवा उच्च कक्षाना साधक - कवि करे त्यारे आ विभूति तथा तेमनी भूमिनो महिमा केवो हशे तेनो अन्दाज बांधी शकाय छे. में ज्यारे कह्युं के, ए तो मुस्लिमोना कबजामां छे, ने पाछी मागवा जतां कोमवादी यातनाओ ऊभी थशे, ए करतां हवे जेम छे तेम भले चालवा दईए. त्यारे तेमणे खास भारपूर्वक पुनः कह्युं के "मुनि ! एवं न विचारो, पण कांईक करो ज. "