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अनुसन्धान ३३
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१६. दीयमानाक्षर १७. हीयमानाक्षर १८. अपहति १९. कथितापह्नुति २०. गतप्रत्यागत २१. प्रहेलिका २२. अर्थी(थ)प्रहेलिका २३. दूरान्वयिजाति २४. भावगूढ २५. समस्या २६. पादत्रयरूप समस्या २७. श्लेष
कुल ६७ आ श्लोकोमाथी केटलाक श्लोकोना कर्ता व. नो निर्देश संग्रहकारे ज करेलो छे. आमांना २५ श्लोको सुभाषितरत्नभाण्डागार (सु.र.भा.)मां नाना-मोटा फेरफार साथे संगृहीत छे. (तेनो तथा सु.र.भा.ना आधारे ज केटलाक श्लोकोनां शार्ङ्गधर पद्धति-भोजप्रबन्ध व. मूळ स्थानोनो निर्देश ते ते स्थळे टिप्पणीमां करेल छे.)
केटलीक समस्याओना उकेलो प्रतिमां संग्रहकारे ज आप्या छे. तथा केटलीक समस्याओना उत्तरो सु.र.भा.ने आधारे ते ते स्थळे टिप्पणीमां आपेल छे.
लेखनमां अशुद्धि घणी छे. शक्य स्थळोए शुद्धि करवानो प्रयत्न कर्यो छे.
प्रतिपरिचय : आ संग्रहग्रन्थनी मूल प्रतिना कुल पत्रो ९ छे. अक्षरो सुवाच्य छे. तेनुं लेखन सं. १७७६ ना आसो सुद ११ना रविवारे थयुं छे एम प्रान्ते लखेल पुष्पिकाथी जणाय छे.
संग्रहकारना नाम व. नो कोई निर्देश नथी, छतां ग्रन्थारम्भे श्रीगौतमाय
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