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मूंग कांगडू कणमाहि जेहवउ । पाणी अगनि न छीपड़ अंस ।
जल केलव्या न थाइ तंदुल |
बग सीखव्यउ न होवइ हंस |६| तिम गुरु ।
मृगमद अगर कपुरइं वास्यु
लसण न पांमइ रूडउ ग (गंध ।
सूरि जस सिहर दीवा योति ।
किमही नवि देखइ जाचंध |७| तिम गुरु. 1
ऊग्यु चंद चोरनंइ गमइ ।
मेहिइं जवासउ सूकी जाइ ।
खीर खंड घृत मीठउं भोजन ।
पेटि कूतिरा नइ न संमाइ ॥ ८| तिम गुरु ।
मीठी द्राख न वायस चाखइ ।
श्वांनन पूंछडी सभी न थाइ ।
आंबानूं वन करहउ न चरइ ।
अन्याइनई न गमइ न्याय |९| तिम गुरु व. ।
खाइ नर सनेपातियउ साकरा ।
पापीनइ धरमी न सुहाइ ।
रुचइ नही पापउ मधुकरनई
घुण नितु सुकउ लाकड खाइ | १० |तिम गुरु ।
गाम समीप नदी सूंकी निइ
रासभ राखइ घरडलू अंग
कुलवंती कामनी तजीनई
नीच करइ पर रमणी संग | ११ | तिम गुरु व. ।
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अनुसंधान - २४
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