________________ जून 2009 सील चूनडी हेजी सील सुरंगडी, अर जै ओढने नरनारिजी; इणभव परभव सुख लहै, धन तेहनो अवतारोजी...... सी० 1 हेजी ताणो न(व)ण्यौ तीन गुपतीको, अर वाण्यो ववेकोजी; नलीय भरी नव वाड की, क्षीमा खूटी ताणोजी..... सी० 2 हेजी पास दीयो पांच सुमतीको, अर रंग लागो वैरागोजी; पंचवरण पंचमहाव्रतको, कारीगर करणी अथाहोजी...... सी० 3 हेजी चारित्र चांदा विचि लिख्या, अर वेलि विलय छि लहाणोजी; मूल उत्तरगुण घूघरु, सीह हंस मोर जिण आणोजी...... सी० 4 हेजी जेह वणी सदगुरुतणी, अर कहि सखी के ना मोलोजी; लाखे ही लाभै नही, अर नही तसु तोलोजी..... सी० 5 हेजी कोन मोलावै चुनडी, अर को करी बलभोगोजी; नेमजी मुलावे चुनडी, राणी राजुलनै बलभोगोजी..... सी०६ हेजी पहिली ओढी श्री नेमजीने, अर दुजा गजसुकमालोजी; तीजी सेठ सुदरसनै, चौथा जंबुकुमारोजी..... सी० 7 हेजी सीता कुंता द्रौपदी, अर चोथी चंदनबालाजी; गौरी नै पद्मावती, रूपिला राजुलनारीजी..... सी० 8 हेजी ब्राह्मी सुंदरी अति भली, अर मृगावति अभिरामोजी; सुलसा सुभद्रा ने सिवा, दवदंती अभिरामो (जी)..... सी० 9 हैजी चूला कलावती नैर पभावती, अर मंदोदरी महाधीरोजी; ए सीलवंत नर-नारिना, गुण कह्या अनंत महावीरोजी... सी० 10 हेजी अजब विराजै चुदडी, अर सोहै सीलज तारोजी; हीरमुनीसर हरखसुं, धन तेहनो अवतारोजी... सी० 11 . इति सील चुंदडी संपूर्णम् / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org