________________ 37 आठ कलश ग्रहि धनमन्या रे जिन माय नमि गीत भण्या रे जि० // 6 // आठ पश्चिम रुचकथी आवे रे वायु विजणे हाथ सोहावे रे ते दिशि रहि जीनगुण गावे रे जि० // 7 // चामर चतुरा अड धरती रे उत्तर रुचकथी अवतरति रे दोइं नमि भवदूख हरती रे जि० // 8 // च्यार विदिशि थकी दिशिसुरी रे दीपक कर कांति पूरी रे प्रभुनु मुख जीवा सनुरी रे जि० // 9 // मध्य रुचकनी च्यार देवी रे नालच्छेदनि किरिया करेवि रे खांनि रतनपूरीत धरेवि रे जि० // 10 // केलनां घर त्रिणे विरचि रे नवरावे पहेरावि अरचि रे जनम मंदिर थापे चरचि रे जि० // 11 // छपन दिशि कुंमरी जेहवो रे रतनसा करे ओछव तेहवो रे यश तसु बहुमांने केहवो रे जि० // 12 // ॥ढाल // [7] ( पुण्ये विमळा दोहला रे जया सफला होय - ए देशी // ) अवधिनांणे जांणीओ रे सोहमपति जिन जन्म घंट सुधोषा वजडावीयो कांइ सेनानी सेनानीनो ए कांमतो जन्माभिषेक करो प्रांणीया ए // 1 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org